ચોરોનો ખજાનો - 52 Kamejaliya Dipak દ્વારા પુષ્તક અને વાર્તા PDF

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ચોરોનો ખજાનો - 52

પ્લાન કોનો..?


सुमंत: जी सरदार, हम सब यहां से निकल चुके है। क्या आप ठीक है? डेनी के बारे में कुछ पता चला? જ્યારે સુમંત અને રાજ ઠાકોર પોતાના બધા સાથીઓને લઈને જહાજ વાટે નદીમાંથી બહાર નીકળીને ભારત-પાકિસ્તાન બોર્ડર ઉપર આગળ વધી રહ્યા હતા. જ્યારે સુમંત ના ફોનમાં નેટવર્ક આવ્યું એટલે તેણે સિરતને ફોન કર્યો અને તેના અને ડેની ના સમાચાર પૂછ્યા.

सीरत: हां दादा, मैं ठीक हु, हम उसे ढूंढ लेंगे। आप आइए, डेनी भी आ रहा है। वो भी बिलकुल सही सलामत। मेहमानों का स्वागत करने केलिए तैयार रहिएगा। दुश्मन वापिस आ चुका है। आप अपना और हमारे जहाज का खयाल रखें और हर तरफ खतरा बढ़ने वाला है, उस केलिए भी तैयार रहे। સિરત અત્યારની હકીકત જણાવતાં બોલી.

सुमंत: जी सरदार। यहां हम पूरी तरह से तैयार है। मेहमानों की खातिरदारी अच्छी तरह से की जाएगी। आप अपना खयाल रखियेगा। जय मातादी। જો કે સુમંત અને તેમના બાકીના સાથીઓ આવનારી દરેક મુશ્કેલીઓ માટે તૈયાર જ હતા એ વાત સુમંતે જણાવી.

सीरत: जय मातादी, दादा। मिलते है। और हां दादा, आप बॉर्डर के पास हो कर आ रहे है, हमारी ओर से तो कोई दिक्कत नही लेकिन पाकिस्तान की और से अगर कोई हरकत दिखे तो आपको पता ही है क्या करना है। પાકિસ્તાન બોર્ડર ઉપર સાવધાની રાખવા માટે સિરતે કહ્યું.

सुमंत: जी सरदार। आप उस बात को लेकर बेफिक्र रहे। एक बात और, इसे देखने वाले लोग और मीडिया के बारे में आपने कुछ सोचा है क्या? જો કે સુમંત ને એ વાતની ચિંતા ન્હોતી એટલે જે વાતની ચિંતા હતી તે જણાવતાં બોલ્યો.

सीरत: आप एक काम कीजिए, बॉर्डर के आसपास हमारे लोगों के खेत हो या फिर कोई गांव हो तो उसके पास से मत गुजरना, हो सकता है, इसे देख कोई यकीन न कर पाए। खयाल रखियेगा, और मीडिया को उनका काम करने दो। जब तक उन्हे इस सब के बारे में समझ आएगा तब तक हम यहां से जा चुके होंगे। अब वो दिन ज्यादा दूर नहीं, जिसका हमे इतने सालों से इंतजार था। अब सब सही होने वाला है। સિરતે કહ્યું.

सुमंत: जी सरदार। जैसा आप कहे। સુમંત પણ સિરતની વાત સાથે સહમત થતા બોલ્યો.

सीरत: क्या दिवान साहब वहां है? उनसे बात कराएं प्लीज। દિવાન સાથે વાત કરાવવા સિરતે કહ્યું.

सुमंत: जी, अभी करवाता हूं। સુમંત દિવાન પાસે જતા બોલ્યો. તેણે ધીમેથી દિવાન ને ફોન આપ્યો અને વાત કરવા કહ્યું.

सीरत: हां, दिवान साहब, क्या आप ठीक है? સિરત બોલી.

दिवान: हां सीरत, मैं ठीक हु। क्या डेनी मिला? या उसकी कोई खबर? જ્યારથી હવેલીએ થી દિવાન અંહી તારિસરાં આવ્યો હતો ત્યારથી એને ડેની ની ચિંતા જ સતાવ્યે જતી હતી એટલે તેણે સિરત સાથે વાત કરતા જ ડેની વિશે પૂછ્યું.

सीरत: डेनी मिल जायेगा दिवान साहब। आप चिंता न करें। आगे बहोत से खतरे आने वाले है। आप सबका खयाल रखियेगा। हम आ रहे है। ડેની વિશે નિશ્ચિંત રહેવાનું કહેતા સિરત બોલી.

दिवान: जी सरदार। દિવાને કહ્યું. તેમણે વાત પૂરી કરી એટલે દિવાન જ્યાં સુમંત અને બલી ઊભા હતા ત્યાં ગયો. થોડી જ વારમાં રાજ ઠાકોર પણ ત્યાં આવ્યો. તેઓ હજી લુણી નદીના કિનારે કિનારે પાકિસ્તાન બોર્ડર તરફ જઈ રહ્યા હતા. હજી સુધી વધારે સ્પીડ ન્હોતી વધારી. શરૂઆતમાં હજી તેઓ શાંતિથી આગળ વધી રહ્યા હતા. પાણીમાં જહાજ જે રીતે ચાલી રહ્યું હતું એના કરતાં અત્યારે જ્યારે જમીન ઉપર ચાલી રહ્યું હતું એનો અનુભવ કંઇક અલગ જ હતો. જમીન રેતાળ હોય કે કાંકરા વાળી પણ જહાજની ચાલમાં જરા સરખો પણ ફરક દેખાઈ ન્હોતો રહ્યો.

दिवान: जितना हो सके पाकिस्तान बॉर्डर से हम दूर रहेंगे। वो हमे देख लेंगे तो डर के मारे हमला शुरू कर देंगे। हमारे पास उनके हमले का जवाब देने केलिए वक्त नहीं है। और वैसे भी हमारे पास अब सिर्फ छह दिन बचे है, इन छह दिनों में हमे उस जगह को ढूंढ कर वहां पहुंचना है, और क्या पता तब तक कितनी मुश्किलें और बढ़ेगी। દિવાન પોતાની વાત સુમંત અને બલિને જણાવતાં બોલ્યો.

बलि: क्या, सिर्फ छह दिन? इन छह दिनों में तो हम पूरा रेगिस्तान घूम लेंगे। બલી ઉત્સાહમાં આવતા બોલ્યો. પણ હકીકત શું હતી એ વાતથી તે સાવ અજાણ હતો.

राज ठाकोर: हां ज़रूर। अगर तब तक हम सब जिंदा बचे तो। अब सिर्फ खतरे ही खतरे मिलने वाले है। शुरुआत हो चुकी है। मौसम भी बदल रहा है। ये बिना मौसम की बारिश और भी भयानक होने वाली है। बिना वक्त का अंधेरा हमे कहां लेकर जायेगा उस बात का ही डर है। રાજ ઠાકોર પોતાના મનનો ડર બતાવતા બોલ્યો.

दिवान: और उस केलिए हम सब तैयार है, हैं न? પણ તેમની સુરક્ષા કરવાની જવાબદારી રાજ ઠાકોર ઉપર હતી, એટલે તે વાત તેને યાદ કરાવતા દિવાન બોલ્યો.

राज: हां, बिलकुल है। પોતાની જવાબદારી તેને ખુબ સારી રીતે યાદ છે તેની બાહેંધરી આપતા રાજ ઠાકોર બોલ્યો.

*****

ડેની નું જ્યારે અપહરણ કરવામાં આવ્યું એના પહેલા ડેનીને એક કોલ આવ્યો હતો. જેની સાથે ડેની વાત કરી રહ્યો હતો તે બીજું કોઈ નહિ પણ ડૉ.સિમા હતી.

डॉ.सीमा: हेलो डेनी, मेरी बात ध्यान से सुनना। मैं अभी जो तुम्हे बताने वाली हूं वो बहुत ही जरूरी बात है।

डेनी: तुम क्या कह रही हो सीमा? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। क्या मैं तुमसे बाद में बात करू? अभी मेरा बात करने का मुड नही है।

डॉ.सीमा: नही यू इडियट, तुम्हारा पीछा करते हुए कुछ लोग आएंगे जो तुम्हे हमारे खिलाफ यूज करेंगे। तुम अपना खयाल रखना। एक बात और, सीरत तुम्हे धोखा नही दे रही। वो तुमसे सिर्फ प्यार करती है। धोखा हमे मीरा दे रही है। उसने किसीको कॉल करके बताया है की तुम हवेली छोड़कर चले गए हो। मुझे लगता है उसने जिन्हे फोन किया था वो तुमसे मिलने जरूर आयेंगे। अपना खयाल रखना। और हां एक बात और,

जिस दिन तुम हमे छोड़कर गए थे उसी दिन मेरी बात मेरे बाबा से हुई थी। उन्होंने जो बताया वो बहुत ही अलग कहानी थी।

जब सीरत के दादाजी उस सफर से वापिस आए तब उन्होंने इस हवेली को बड़े प्यार से बनवाया था। जहां तुम हररोज पौधो को पानी देते हो और जिस ग्राउंड पे तुम एक्सरसाइज करते हो उन जगहों पर भी पहले कमरे बने हुए थे।

लेकिन जब सीरत के बाबा का देहांत हुआ तब वे कुछ आधी अधूरी जानकारी ही दे पाए। जिसमें उन्होंने बताया कि खजाने के रास्ते के बारे में सरदारने जो डायरी और नक्शा बनाया था वो हवेली की दीवारों में कही छिपाया है। लेकिन वो कहां छिपाया है वो बताते उससे पहले ही उनका देहांत हो गया।

मेरे बाबा और बाकी लोगों ने उस डायरी को ढूंढने केलिए हवेली का कोना कोना छान मारा। लेकिन जब वो नही मिली तो हवेली के कुछ कमरों की दीवारें तोड़कर देखना शुरू किया। जहां हमारे सरदार रहते थे उस कमरे को तोड़ दिया। उसके अलावा उनके कई कमरे जहां वो जाया करते थे उन्हे भी गिरा दिया, लेकिन वो डायरी हमे नही मिली।

ये बात जब सीरत को पता चली तो उसने बहुत ही गुस्सा किया। फिर उसने तय किया कि पहले वो हमारे सभी लोगों को इकट्ठा करेगी और उसके बाद हवेली में से डायरी की खोज करेगी। लेकिन जब तक वो अपने लोगों को ढूंढती है तब तक किसी को इस हवेली में रहने देगी। इसी काम में हमे कई साल लग गए।

तो बाबा और सुमंतदादाने सोचा की हवेली में जो इंसान रहेगा उसको अगर वो डायरी मिल गई तो क्या होगा। इसलिए उन्होंने हवेली में हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए ताकि अगर तुम्हे वो डायरी मिले तो वो लोग जान सके।

उन्होंने हर पल तुम पर अपनी नजरे गड़ाए रखी थी। जिस रात तुम्हे वो डायरी मिली उस रात ही बाबाने सीरत को ये बात बताई। ये सुन कर पहले तो वो बहुत नाराज हुई की तुम पर नजर रखने केलिए कैमरे लगाए थे लेकिन वो नाराजगी डायरी मिलने की खुशी के सामने कुछ नही थी।

और तुम्हारे कमरे से जो ये नक्शा मिला था वो बात तुम्हे उसने इसीलिए नही बताई थी क्यों की वो तुम्हे इस सफर पर लेकर ही नहीं जाना चाहती थी। ये बात शायद बाबाने तुम्हे बताई थी की आखिर सीरत तुम्हे वहां क्यों नही ले जाना चाहती। और उस बारे में तो तुम्हारी बात भी हुई थी सीरत से। वो तुम्हारी परवाह सच्चे दिल से करती है। तुम्हे कोई तकलीफ हो इस बात से वो इतनी ज्यादा घबरा जाती है की तुम सोच भी नही सकते।

भले ही वो तुम्हे नही बता पा रही लेकिन सच्चाई तो ये है की वो तुमसे बहुत ही ज्यादा प्यार करती है। मैं न तो उसे दुखी देखना चाहती हूं और न ही तुम्हे। मैने ये बात तुम्हे इसीलिए बताई है ताकि तुम किसी और को समझो या न समझो लेकिन कम से कम सीरत को गलत मत समझो। इतने दिनों में उसके मन की बात मैं समझ गई हु, तो तुम क्यों नही समझ पा रहे?

वो तो किसी पराए को भी तकलीफ नहीं पहुंचाती, तुम तो फिर भी उसके अपने हो। वो तुम्हे धोखा देने के बारे में कभी सोचेगी भी नही। इस बात का मुझे पूरा यकीन है।

मैं उसे अच्छे से जान चुकी हु। जिसके दादा ने पूरी जिंदगी अपनो से ही धोखा खाया हो वो अच्छे से जानता है की किसीको धोखा दिया जाता है तो उस पर क्या गुजरती है। अब तुम ही बताओ, तुम्हे क्या लगता है? वो तुम्हे प्यार करती है या धोखा दे रही है?

डेनी: अगर ऐसा था तो दिवान साहब ने ये बात मुझे पहले क्यों नहीं बताई ?

सीमा: क्यों की उन्हे पता नहीं था की तुम इस बात से कैसे रिएक्ट करोगे। और फिर सिरतने भी तुम्हे ये बात बताने से मना किया था ताकि तुम्हे इस बात को सुन कर दुख न हो।

डेनी: अह्ह्ह्ह। तुम न सीमा, मुझे कंफ्यूज कर रही हो।

सीमा: नही, मैं तुम्हारा कंफूजन दूर कर रही हु। एक औरत के दिल की बात एक औरत ही समझ सकती है। और मेरा यकीन करो, सीरत तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करती है।

डेनी: ठीक है, मैं समझ गया। अब मुझे क्या करना चाहिए, बताओगी?

सीमा: अगर तुम उन लोगों के पास चले जाओगे तो हमे उनके बारे में कुछ पता चलेगा। मेरे खयाल से तुम्हे उनके हिसाब से कुछ वक्त चलना चाहिए।

डेनी: तो तुम चाहती हो की मैं इन लोगों से मिल जाऊं और उनका प्लान क्या है ये जान लूं?

सीमा: हां बिलकुल।

डेनी: ठीक है फिर, समझ लो काम हो गया।

સીમાએ ડેનીને ફોન કર્યો અને બધી હકીકત જણાવી. ડેની એટલું તો સમજી ગયો હતો કે સિરત તેને દગો ન્હોતી આપી રહી. તે તરત જ પોતાની આસપાસ જોવા લાગ્યો. તેણે પોતાની પાછળ આવી રહેલી એક વાન જોઈ, જે ઘણીવાર થી તેની પાછળ પાછળ આવી રહી હતી. તેને સમજતા વાર ન લાગી કે કદાચ એ વાન માં પેલા લોકો જ છે. એટલે તેણે પોતાને આસાની થી તેમને લઈ જવા દીધા. પેલા લોકોને પણ એવું લાગ્યું કે તેઓ ડેનીને પકડવામાં કામિયાબ થયા હતા. આ બધી જ વાત સીમાએ સિરતને કરી હતી એટલે સિરત જાણતી હતી કે કોઈ પણ સંજોગોમાં ડેની આ સફરમાં તેની સાથે જરૂર આવશે...

ડેની અને સિરતનો પ્લાન શું હતો??
પેલા અંગ્રેજ નો પ્લાન શું હતો?
આ સફર કેવી હશે?
પેલા બીજ શેના હતા?

એવા અનેક પ્રશ્નોના જવાબ માટે વાંચતા રહો..
ચોરનો ખજાનો..

Dr Dipak Kamejaliya
'શિલ્પી'