ચોરોનો ખજાનો - 51 Kamejaliya Dipak દ્વારા પુષ્તક અને વાર્તા PDF

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ચોરોનો ખજાનો - 51

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सीरत:

अब कैसी प्रॉब्लम है? સિરતે જ્યારે સિમા પ્રોબ્લેમની વાત કરવા લાગી એટલે પૂછ્યું. તેને લાગ્યું કે કદાચ મીરા તેમની પહોંચથી દૂર તો નથી ચાલી ગઈને..!


सीमा:

प्रॉब्लम ये है की अगर हमने मीरा को इस वक्त पकड़ लिया तो वो लोग अलर्ट हो जायेंगे, जिन्होंने उसे यहां इस काम केलिए भेजा है। और इसे जानने के बाद उन लोगों ने डेनी को कोई नुकसान भी पहुंचा दिया तो? સિમા બોલી.


मीरा:

कुछ नहीं होगा डेनी को। वो बिलकुल सही सलामत वापिस आयेगा। જ્યારે સિમા અને સિરત બંને એકબીજા સાથે વાતો કરી રહ્યા હતા ત્યારે જ મીરા અચાનક આવી અને બોલી. તેના અવાજમાં એક દર્દ દેખાઈ રહ્યું હતું. આંખોમાં આંસુ આવી ગયેલા હતા. તેનો ચેહરો એકદમ રડમસ થઇ ગયેલો હતો.


सीमा:

मीरा, तुम..! तुम रो क्यों रही हो? क्या बात है मीरा? પોતાની દોસ્તને આવી હાલતમાં જોઇને સીમાથી ન રહેવાયું અને તે દોડીને મીરા પાસે પહોંચી ગઈ. તેણે મીરાને ખુબ જ શાંતિથી પૂછ્યું.


मीरा:

मुझे माफ कर दो सीमा। मेरी ही वजह से बेकसूर डेनी उनके कब्जे में है। उन्होंने कहा था की वो लोग मेरी पढ़ाई और मेरे बाबूजी का इलाज करवाएंगे, और बदले में मुझे उनकी हेल्प करनी होगी। लेकिन आज रात मेरे बाबूजी का देहांत हो गया। उन्होंने उन्हें नही बचाया। મીરા રડતા રડતા પોતાની વાત કહેવા લાગી.


सीमा:

मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा, तुम क्या कह रही हो? સિમા કંઈ સમજી નહિ એટલે તે બોલી.


मीरा:

हमारी कॉलेज शुरू हुई उससे कुछ समय पहले की बात है। जब हमारा HSC रिजल्ट आया, तब मेरे पास कॉलेज की फीस भरने केलिए पैसे नही थे। तब हमारे घर नारायण नाम का एक आदमी आया। उसने कहा की मुझे उस केलिए काम करना होगा। मुझे तुमसे दोस्ती कर के सीरत की डायरी और नक्शे को उन तक पहुंचाना होगा, और बदले में वो मेरी कॉलेज की फीस भरेंगे और मेरे बीमार बाबूजी का इलाज भी करवाएंगे। मैने उनके कहने पर वो सब किया लेकिन फिर भी उन्होंने मेरे बाबूजी को नही बचाया। तुम्हे सिर्फ इतना पता है की मेरे बाबूजी बीमार है लेकिन सच्चाई तो ये है की उन्हें एक ऐसी जेनेटिकल बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं मिल रहा था। तब उन्होंने कहा की वो लोग आउट ऑफ कंट्री जा कर इसके स्पेशलिस्ट को लायेंगे और उनका इलाज करवाएंगे। कल तक सब सही चल रहा था, लेकिन जब उनका काम हो गया तो उन्होंने मेरे बाबूजी का इलाज बंध करवा दिया। मेरे बाबूजी की कल रात डेथ हो गई। वो अब इस दुनिया में नही रहे। મીરા પહેલેથી માંડીને વાત કરતા કહેવા લાગી. તે ખુબ જ રડી રહી હતી.


सीमा:

ओह, मीरा। आई एम सो सॉरी। इट्स ओके। सब ठीक हो जायेगा। સીમાએ મીરાને પોતાની બાથમાં લઈને સાંત્વના આપતા કહ્યું. તે મીરાને શાંત થવા માટે કહી રહી હતી. તેના ચેહરા ઉપર બિલકુલ પણ ગુસ્સો ન્હોતો દેખાઈ રહ્યો.


मीरा:

वो ऐसा कैसे कर सकते है? मैने अपने बाबूजी को बचाने केलिए अपनी सबसे अच्छी दोस्त को धोखा दिया, और फिर भी उन्हें बचा नही पाई। शायद मुझे अपने कर्मो की ही सजा मिली है। મીરા હજી પણ રડતા રડતા પોતાની વાત જ કહી રહી હતી.


सीरत:

क्या तुमने वो डायरी और नक्शा उन्हे दे दिया है? અચાનક જ સિરત તેમની વચ્ચે જ ગુસ્સો કર્યા વિના શાંતિથી બોલી.


मीरा:

नही, वो अभी मेरे पास ही है, लेकिन मुझे उसकी फिक्र नहीं है। वो लोग सिर्फ उस खजाने के पीछे नहीं है, दरअसल उनको आपका वो जहाज भी चाहिए। हकीकत तो ये है की उनके पीछे बहुत ही बड़े बड़े लोग है। ये बात हमारे देश को आजादी मिली उससे भी पहले की है। बात तब की है जब हमारा देश बहुत ही समृद्ध हुआ करता था। अंग्रेज भी यहां तक नही पहुंचे थे। મીરા સમજી ગઈ હતી કે તેનાથી ડાયરી અને નકશો ચોરીને ખુબ મોટી ભૂલ થઈ હતી એટલે તે પોતાની પાસે જે કંઈ જાણકારી હતી તે કહેતા બોલી.


मीरा:

आप को क्या लगता है, उस वास्को डी गामा को यूं ही हमारे देश तक पहुंचने का रास्ता मिल गया था? नही..! वो एकबार अपना जहाज लेकर अफ्रीका गया था जहां उसने अपने जहाज से तीन गुना बड़ा जहाज देखा। पूछने पर पता चला की उस जहाज का मालिक भारत के गुजरात का कोई व्यापारी था। वास्को जब उससे मिला तो वो एकदम सामान्य कपड़े में बैठा था। उसने सोचा की अगर ऐसे बड़े जहाज का मालिक इतना सिंपल है तो वो देश कितना समृद्ध होगा। મીરા બધી જ વાત માંડીને કરવા લાગી.


मीरा:

तब उसने भारत की मुलाकात लेने के बहाने से यहां आने का फैंसला किया। जब वास्को ने उस जहाज के मालिक को ये बात बताई तो उसने अपने पीछे पीछे आने केलिए कहा। आप जरा सोचिए उस वक्त हमारा देश जहाज बनाने के मामले में कितना आगे था। उन अंग्रेजो ने इतने सालो तक हमारे देश से बड़े बड़े जहाज और उन्हें बनाने की जो तरकीबें और नॉलेज था उन्हें हमसे शिखने के बजाय चुरा लिया।


मीरा:

लेकिन १९४६ में जब अंग्रेज हमारा देश छोड़कर जा रहे थे तब उनका सामना एक ऐसे जहाज से हुआ जो जमीन और पानी दोनो जगह चल सकता था। जिन्होंने हमारे देश से उन जहाजों को मिटा दिया जो सिर्फ पानी पे चलते थे तो वो इस अजूबे को कैसे छोड़ देते। वो लोग इस जहाज को हमसे छीनना चाहते है ताकि उनकी तरक्की हमसे ज्यादा हो सके। हमारे पास बस ये एक ही जहाज बचा है जब उन्हें पता चला तो उन लोगोंने अपनी पुरानी तरकीबे शुरू की। મીરા પોતે જે જાણતી હતી તે કહી રહી હતી.


सीरत:

डिवाइड एंड रूल्स। यह एक ही तो उनकी पहले से चाल रही है। हम में से किसिकी कमजोरी का फायिदा उन्हें मिल ही जाता है। लेकिन इस बार नही, इस बार उन्हें यहां से सिर्फ निराशा ही मिलेगी। तुम चिंता मत करो मीरा, हम उन्हे सम्हाल लेंगे। સિરત બધી જ વાત સમજતા બોલી.


मीरा:

आई एम वेरी सॉरी सीरत। मैने ये सिर्फ अपने बाबूजी केलिए किया था। हो सके तो मुझे माफ कर दो। ये लो, ये तुम्हारी अमानत तुम संभालो। મીરા પોતે કરેલી ભૂલ બદલ સિરત પાસે માફી માગતાં અને ડાયરી અને નકશો તેને સોંપતા બોલી.


सीरत:

कोई बात नही मीरा। मैं जानती हु, लेकिन अब आगे से खयाल रहे, हम दूसरी गलती कभी माफ नहीं करेंगे। સિરત થોડોક બનાવટી ગુસ્સો ચેહરા ઉપર લાવતા બોલી. ડાયરી અને નકશો સહી સલામત પાછો મળવાથી તેનો ગુસ્સો ઓગળી ગયો હતો.


मीरा:

मैं जानती हु। तो क्या मुझे वो गद्दारों वाली मौत नही मिलेगी? મીરા એ પૂછ્યું.


सीरत:

नही, तुम गद्दार नही बल्कि मजबूर थी। और वैसे भी अगर कोई शाम का भूला शाम को वापिस आ जाए तो उसे भुला नही कहते। સિરત મીરાની ભૂલને માફ કરતા બોલી.


मीरा:

थैंक यू सीरत, मुझे समझने केलिए। वैसे मैं जानती हु की इस वक्त डेनी कहां है, क्यों न हम पहले उसे वहां से छुड़ा ले। મીરા બોલી.


सीरत:

नही, अगर हमने उन पर हमला किया तो वो चौकन्ने हो जायेंगे। उन्हे वही सोचने दो जो वो सोचते है। वैसे, क्या उन्हे ये पता है की तुम जानती हो की तुम्हारे बाबूजी की डेथ हो गई है? સિરત જાણતી હતી કે ડેની ત્યાં સુધી સુરક્ષિત છે જ્યાં સુધી તે ડાયરી અને નકશો તેની પાસે છે. ડેની ની મદદ સિવાય તેઓ જહાજ સુધી નહિ પહોંચી શકે તે પણ તે જાણતી હતી. અચાનક તેના મનમાં એક ખતરનાક વિચાર આવ્યો.


मीरा:

नही, मैने उन्हे इस बात केलिए अभी तक कॉल नही किया। मैं उन्हे कहने वाली थी लेकिन फिर सोचा की जिस वजह केलिए मैंने अपनी दोस्त को धोखा दिया है, अगर अब वो वजह ही नहीं बची तो पहले क्यों न अपनी दोस्त को सॉरी कह लिया जाए। शायद वो मुझे माफ कर दे। મીરા પોતાની વાત કહેતા સિમા તરફ ફરી અને ધીમા અવાજે બોલી. મીરા અને સીમાને ડેનીને નહિ છોડાવવા માટે સિરતના મનમાં શું પ્લાનિંગ ચાલી રહ્યું હતું તે ન સમજાયું. એટલા આશ્ચર્ય વચ્ચે પણ તેઓ ચૂપ રહી.


सीमा:

अरे, उसकी जरूरत नहीं है मीरा। अगर सीरत तुम्हे माफ कर रही है तो समझो मैंने भी तुम्हे माफ कर दिया है। સિમા પણ મીરાને માફ કરતા બોલી.


सीरत:

तो अब आगे उनका प्लान क्या था? અચાનક સિરતે પૂછ્યું.


શું હતો પેલા અંગ્રેજોનો પ્લાન?


શું તેઓ તેમના પ્લાનમાં સફળ થશે?


પેલા બીજ શેના હતા?


આ સફર કેવી હશે..?


એવા અનેક પ્રશ્નોના જવાબ માટે વાંચતા રહો..


ચોરનો ખજાનો..


Dr Dipak Kamejaliya


'શિલ્પી'