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पहाड़ी वाला राक्षस

पहाड़ी वाला राक्षस

मेदरानगंज मेंआज से १०० साल पहले एक सरपंच था मधरान मोरारी। सब लोग अपने मसले उसे बताने से डरते थे। वो हर किसीको बजाय उनकी समस्या का हल बताने के वो तो सबको अनाब शनाब सुनाता था उतना ही नहीं कई बार लोगों को जानबुच कर गलत सलाह देता था। गांव के लोग उससे बहोत तंग आ चुके थे। वे लोग तो उन्हें अपना सरपंच बनाना ही नहीं चाहते थे पर सदियों से इस मधरान के बाप दादाओं ने ही इस पूरे गांव को संभाला था पर ये ऐसा नहीं था। ऊपर से कई लोगों के पैसे भी हड़पकर बैठा था। गांव का सरपंच होने के कारण किसी में हिम्मत नही थी कि सामने आकर उसका नाम ले या उसके खिलाफ़ कोई कदम उठाए और तो और उसकी नियत में भी खोट थी और कई लड़कियों को भी आगे शिक्षा देने की लालच देकर घर बुलाता और फिर उनके साथ दुष्कृत्य करता था। कोई उसका नाम सबको देने की सोच भी नहीं पाती क्योंकि वो उल्टा उस लड़की को बदनाम करने की धमकी देता। हकीम विद्या जनता हूं कहकर औरतों को भी अपने घर बुलाता और दुख दूर करने की लालच देकर उनका बलात्कार pe बलात्कार करके उनका फायदा उठाता। ना किसी में हिम्मत थी के एक दूसरे से इस बारे में कोई बात की ना ही कोई एक लड़की या औरत उसके खिलाफ़ बोलती थी। उसकी शिकार लगभग गांव की सारी लड़कियां और औरतें भी थी पर सबको उसने बदनाम करने की धमकी दे रखी थी जिससे डरते हुए कोई उसके खिलाफ़ नहीं जाता था और उसी बात का फायदा उठा उठाकर वो हैवान मधरान काले कारनामे करता ही जाता था। उस हैवान ने पूरे गांव में दहशत फैला रखी थी। इतने गंदे काम करने के बावजूद उसका दिल कभी पसीजता नहीं था। पर अब उसके पापों का घड़ा भर चुका था।

एक दिन मधरान मध्याह्न के समय अपने खेत में आराम कर रहा था तब ही उसे दिल का दौरा पड़ा और वो वही मर गया। उसके मरने पर गांव के लोग ही नहीं पर उसकी ख़ुद की बीवी भी मन ही मन खुश थी क्योंकि वो हैवान उसे बहोत पिटता था। अब गांव में बहोत शांति थी। सब अच्छे से रह रहे थे। उस मधरान की बीवी बच्चे भी वहां शांति से रहते थे। मधरान की मरे करीब २० साल बीत गए थे।

मेदरानगंज के पास ही में एक बड़ी सी झील थी और झील के ठीक सामने वाले हिस्से में बड़ी सी पहाड़ी। पहाड़ी के ऊपर रात के समय कोई जाता नहीं था। वहां भेड़िए रहते है ऐसा गांव के लोगों का मानना था। वहां ऊपर काली मां का मंदिर भी था। गांव से उस पहाड़ी तक जाने के लिए वो छोटी सी झील पार करनी पड़ती है। जिसके लिए वही पास में ३ – ४ नांव भी रखी हुई है। पर वहां केवल जड़ी बूटियां लेने या मां के दर्शन के लिए वो भी सुबह के वक्त कोई जाता था वरना नहीं।

उस मधरान के गुजरने के २० साल बाद गांव में अजीबोगरीब हादसे होने लगे थे जिससे गांव के लोग फिर से डरने लगे थे। गांव वालों को गांव के उस पहाड़ी इलाके से भयानक आवाज़ें सुनाई पड़ती थी और तो और वहां कई बार झील के पास पानी भरने जाने वाले को पानी लाल दिखा है और काली माता के मंदिर दर्शन करने वाले लोगों को कई बार वहां पर कोई अजीब शक्ति होने का एहसास भी हुआ है। गांव वाले इस बार सहने वाले नहीं थे। पुलिस थाने में पहले से कंप्लेन करके बैठे थे। पर पुलिस को भी ऐसा कोई सबूत नहीं मिला था। अब तो वो पहाड़ी राक्षस दिखने भी लगा था। भयानक कदावर काला पदच्छंद। वो इतना ऊंचा था की उसका चहरा ठीक से देखना नामुमकिन था। उसके बड़े बड़े नाखून और काले लंबे बाल, बड़े बड़े दांत। उसे देखकर दूर से तो कोई ऐसा ही मान ले के वो कोई चट्टान ही है। गांव के दो लोग मर भी गए थे पर किसी के पास सबूत नहीं था या किसीने देखा नही था की वो पहाड़ी राक्षस ने किया था या किसी दूसरी वजह से उनकी मौत हुई। जब मौत होती तो वहां कोई मौजूद नहीं होता पर सुबह जब देखते तब उसके मांस के लौंचे को काग, गिद्ध बैठकर आराम से खाते ये नजारा देख लोग बहोत डर गए थे। वो मरने वाले दो लोग इस गांव के थे या कोई और गांव के विभा कोई नही जानता था क्योंकि उसके मुंह को पूरा नोच लिया होता था।सबको ये लगने लगा था की वो पहाड़ी राक्षस जान का भक्षक है। इंसान को नौच कर खाता है। उसके खिलाफ गांव वालों के पास कोई सबूत नहीं था क्योंकि तब फ़ोन के ज़माने नहीं थे और तो वो पहाड़ी इलाके का राक्षस कोई निश्चित समय नहीं आता था। कभी दिखता तो कभी कई दिनों तक गायब हो जाता। वो जब भी झील के पास नज़र आता लोग भागकर अपने घर पहोंच जाते। कोई उसे देखने वहां खड़ा नहीं रहता के वो कोन है क्या करने आता है वहां या कुछ भी। कई लोगों ने आवाज़ें सुनी है की वो पहाड़ी राक्षस चिल्लाता था की गांव छोड़ दो सब गांव छोड़ दो। तीन चार घर वाले जो थोड़े मध्यम परिवार के थे और दूसरी जगह जिनकी ज़मीन थी वो तो बहोत डर कर यहां घर और खेत पर ताले लगाकर दूसरी जगह स्थानांतरित भी हो गए थे।

पहाड़ी राक्षस की दहशत मेदरानगंज में ही नहीं पर आसपास के इलाकों में भी फैल गई थी। इस गांव में किसीने भी आना जाना बंद कर दिया था। ना पहाड़ी काली मां के मंदिर कोई आता था। एक दिन गांव में राजू नाम का एक लड़का आया जो अपनी चूड़ियां बेचने आया था। वो बहोत बहादुर था। आसपास के लोगों ने उसे बताया की तुम क्यों आए हो यहां? तुम जानते नहीं इस गांव पर प्रकोप है यहां एक पहाड़ी राक्षस रहता है जो लोगों को मार डालता है। वो राक्षस कोई और नहीं यहां २० साल पहले एक मधरान रहता था उसीकी आत्मा है शायद। अब राजू को ये बात कुछ अजीब लग रही थी। वो तब तो वहां से चला गया और झील के पास ही एक बंद झोपड़ी थी उसमें रहने लगा। उसका इरादा किसीको नुकसान पहुंचाने का नहीं पर गांव वालों को मदद करना ही था।

राजू हर सुबह होते ही दूसरे गांव और आसपास के इलाकों में चूड़ियां बेचने चला जाता था और रात होते ही वहां आ जाता था। छ दिन बीत चुके थे। गौधूली बेला का वक्त था। अचानक साय साय करती हवा चलने लगी और एक महाकाय परछाई पहाड़ी से उतरकर गांव की और आती दिखी। सब गांव के लोग भागकर अपने अपने घरों में छिप गए। राजू वहीं झोपड़ी में बैठ सब देख रहा था। वो पडछाई गांव के लोगों को गांव खाली करने को कहकर वहां से गायब हो गई। उसके बाद सब अपने अपने घर से निकले नहीं थे तब ही पुराने सरपंच मेधरान का बेटा धरम जो उस वक्त का सरपंच था वो कुछ लोगों के साथ आया जिन्होंने हाथ में कोई लाश उठाई थी उसे झील के पास डाला और वहां से सीधे झील के उस पार पहाड़ी पर चले गए। राजू को बड़ा आश्चर्य लगा ये सब देखकर। राजू तैरना जानता था। वो किसीको भनक ना हो वैसे सीधा झील में तैरते हुए पहाड़ी पर पहुंच गया। राजू ने वहां पर सबकी बातें सुनी तो हैरान रह गया।

वहां कुछ लोग धरम से कह रहे थे, बस कुछ और दिन इस तरह श्मशान से थोड़े पैसे देकर लाश यहां बिछानी है ताकि ये मूर्ख गांव वालों को यकीन हो जाए के यहां राक्षस है। ऊपर से हमारा वीएफएक्स तो है ही जिससे लोग राक्षस समझकर डरते है। बस और ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं रहेगी। जैसे ही सब गांव खाली करदे हम यहां पर सब तोड़कर अपना फ़िल्म सिटी बनाएंगे। एक गांव, खेत, झील, पहाड़ी, कुवा पास ही में जंगल और तो और इतनी बड़ी जगह। हमारे फिल्म सिटी बनाने के लिए ये एकदम बढ़िया लोकेशन रहेगा। तब ही धरम ने कहा, हां बस जल्दी से सब सोचा है वैसे हो जाए फिर में बड़ा स्टार बन जाऊंगा। खूब पैसे कमाऊंगा।

ये सारी बातें सुन राजू चुपके से वहां से निकल आया और गांव वालों को एक दिन जब धरम शहर गया था तब सारी बातें बताई। पहले तो कोई यकीन करने को तैयार नहीं था पर फिर याद आया जैसा कपटी नीच मधरान था उसका बेटा भी वैसा ही तो होगा। जब फ़िर से वही सब घटना घटी तो सब चुपके से अपने घर के दरवाजे खुले रख सब देखने लगे और उनमें से ३०–३५ लोग पहाड़ी पर राजू ने बताया था उस बात की पुष्टि करने गई। जब उन्हों ने सब देखा और धरम को अपनी कानों से सुना तब सबने रंगे हाथ धरम और शहर के उसके साथियों को पकड़ा और धरम को उसकी मां के साथ मेदरानगंज गांव से बहार निकाल दिया। बेटे के बुरे कर्मो का नतीजा मां को भी भुगतना पड़ा। गांव में फिर से लोग हसी खुशी रहने लगे और मां काली के दर्शन करने पहाड़ी पर भी जाने लगे। अब उन्हें पहाड़ी राक्षस का कोई भय नहीं रहा था।

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