अगले भाग मैं हमने देखा की आरव की 10 वीं बोर्ड की परीक्षा थी उसमे भी वो अव्वल आया फिर देखते देखते उनका ये वक़्त भी बीत गया और कहा पहुँच गए वो पता ही नहीं चला आगे तो आरव की पढ़ाई चलने ही वाली थी पर उसकी इतनी भी परिस्थिति ज़्यादा नहीं थी की वो आगे बढ़ने का खर्चा निकाल सके , फिर उन्हों ने उनसे माता और पिता को आगे पढ़ाई करने के लिए उन्हें मना किया तब उनके माता और पिता को बहुत दुख भी हुआ फिर भी आरव के माता ने आरव को आगे बढ़ने के लिए उनको हिम्मत दे कर पढ़ाई करने के लिए कहा पर आरव नहीं माना और उसका सपना तो पहले से ही अलग था और आरव ने तय कर के ही रखा था मुझे वही तक पहुँचना भी है.. फिर उन्हों ने बहुत कोशिस की पूरे ईमानदारी के साथ उन्हें आर्मी बनने का सपना बचपन से था पर इस के लिए उनके माँ -बाप सहमत नहीं थे वो चाहते थे की मेरा आरव भी उनके जीवन में पढ़ाई कर के आगे बढ़े पर आरव को कुछ बनने का सपना था और उसे खुद पे विश्वाश भी था की में वहा तक पहुँच कर ही रहुगा और मुझे सिर्फ मेरे लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए कुछ करना चाहता हूँ.... वही लफ्ज़ उन्हों ने अपनी माँ के सामने बयां किया और फिर भी उनकी माँ का मन उसे दूर जाने नहीं देता था क्यूंकि आरव सिर्फ एक ही लोटा बेटा था और गर्व भी था |
10 वीं पास करने के बाद आरव उनके सपने को सच करना ही उनके जीवन का सबसे बड़ा मकसद था.. फिर आरव एक दिन अकेले बैठा था स्कूल के पास... वही से एक trainer को वहा uniform मैं देखा दूर से देखा तो उनको उनमें से उन्हें judge किया फिर वो trainer सर थे वो आरव के पास आ गया और बोले की क्या आप इसी छात्रा में पढ़ाई करते हो तभी आरव ने कहा.... जी नहीं मुझे कुछ बनना है और देश के लिए कुछ करना है.. तभी वो सर चौक गए की इतनी कम उम्र में ऐसा लडके का विश्वास और इतनी बड़ी सोच... !!वो सोच में पड़ गए... फिर आरव ने भी कहा सर मुझे भी कुछ सीखना है जो हमारे सैनिक सभी के बिच लड़ रहे है और मुझे उस सरहद तक पहुंचना वही मेरी मंज़िल है.. फिर वो सर उनके पास बैठा और उन्हें एक ट्रेनिंग के लिए बात की... और काफ़ी सारी जानकारी भी दी और उनमें से बहुत सारे पड़ाव पार करने के लिए आरव को कहा और समजाया... फिर आरव ख़ुश हो गया और वो उनके घर जाता है तभी उनके माँ बाप को ये बात बताता है और फिर आरव को बहार भी जाना होता है पर तभी उनके पिता को उनसे दूर जाना बर्दास्त नहीं होता था पर आरव का विश्वास देखकर उन्हों ने भी हाँ कर दी और कहा की बेटा तुम हम से दूर जा रहे हो कितनी सारी तकलीफ होगी मुश्केली भी होगी कैसे करोगे आरव तुम? हमारे जीवन में भी इतनी सारी मुश्केलिया आयी है परिस्थिति भी ऐसी इसलिए थोड़ी सी फ़िक्र रहती है वो सब आरव के पिता ने कहा और आरव भी वो सभी बातें सुनकर भावुक हो गया फिर आरव ने समजाया और कहा की पापा में मिलने के लिए आता जाता रहुगा...पर मुझे मेरी काबिलयत को कामयाब करना है मेरी मंजिल तक पहुंचना तय है पापा..... !
वो सब आरव ने कह दिया और उनके माता पिता ने भी अनुमति दे दी और फिर आरव ने आर्शीवाद ले कर वो सफलता की और चला.... और उनके सर के साथ उन्हों ने काफ़ी सारी मेहनत लगा कर वो आगे बढ़ता रहता था और आरव रहता था थोड़ा दूर.... पर फिर भी उनके साथ नए दोस्त भी थे इसलिए वो अकेला महसूस नहीं करता था पर घर से दूर पहली बार गया तो बहुत याद आता था पर उसी वक़्त वो उनके दिल की बात सुनता था और मंज़िल की और बढ़ने का ही आत्मविश्वास था....
अब आरव किस मुश्किल से गुजरेगा उनके जीवन में क्या और पड़ाव आएगा? फिर लौट के उनके माता पिता के पास आएगा? वो पढ़ने के लिए देखते है...... आत्मविश्वास भाग - 5 के साथ......
- Honey Lakhlani