જાનકી - 41

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વેદ પાનું ફેરવે છે હિન્દી માં કોઈ કવિતા લખેલ હતી... વેદ તેને વાંચે છે....इश्क़ की पूछते हो तो सुनो,"इश्क़ क्या हैं..?"सिर्फ किसीको पा लेना,उसके साथ रहना,"इश्क़" नहीं है...किसीके लिए"जीना" इश्क़ है...किसीके लिए"खुश" होना इश्क़ है...किसीके लिए"रोना" इश्क़ है...किसीको हर पल "सोचना" इश्क़ है...किसीके लिए सबसे "लड़" जाना इश्क़ है...किसीकी आँखों मेंखुदको "देखना" इश्क़ है...किसीसे "नाराज़" होनाऔर उससे "दूर" ना रह पाना इश्क़ है...किसीको दूर होके अपने आसपास "महसूस" करना इश्क़ है...वो साथ ना हो तो दुनिया"सुनी" लगे ये इश्क़ है...वो साथ हो तो रेगिस्तान भी,"जन्नत" लगे ये इश्क़ है...તેના પછી બીજા પાના પર ફરી થી કોઈ લેખ હતો...સાચું કે ખોટું.....પેલી