हमारा इतिहास अनेक वीरों और वीरांगनाओं के बलिदानों से भरा पड़ा है | उनके विचार, उनका चरित्र और कार्य आज इतने वर्षोके बाद भी हमें उचित जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करता है... उनके शौर्य और किर्ति से आज भी हमें उनके वंशज होने का गर्व धारण करते हैं | आज हम जालौरदुर्गके भीतर एक हाथ में नंगी तलवार और एक हाथ में अपने ही पतिका कटा शीश लेकर महाराज कान्हड़देव की ओर कदम बढाती राष्ट्रभक्त वीरांगना हीरादे के रूप में वास्तविक राष्ट्रभक्ति का प्रत्यक्षरूप से दर्शन करेंगे...!! सन १२९६, जलालुद्दीनको मारकर अलाउद्दीन खिलजी दिल्लीके तख्त पर बैठा, पूरे हिंदुस्तान