उसकी रातों में सुबह नहीं थी जयंती रंगनाथन उसने अपना नाम बताया—सौम्या। मां कहती थी कि मैं हमेशा अपने से अमीर घर की लड़कियों से दोस्ती करती हूं। हम हाल ही में एक किराए के घर में रहने आए थे और सौम्या मेरे घर के सामने एक आलीशान कोठी में रहती थी। हमारा घर छोटा था। दो बहनें, एक भाई, एक दादी और मां-पापा। पापा के पास एक स्कूटर। भाई के पास एक साइकिल। घर में कुल जमा एक मोबाइल। और उसके घर में ना जाने कितने कमरे। कितनी गाडिय़ां, कितने मोबाइल। मैं स्कूल में नई थी। आठवीं में यूं