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छल - Story of love and betrayal - उपन्यास
Sarvesh Saxena
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
"अरे वर्मा जी कुछ लीजिए ना, और आपकी ग्लास और प्लेट तो दोनों खाली हैं, क्या वर्मा जी आप तो ना ही शरमायें" ।
मिसेज़ शर्मा ने वर्मा जी से दोस्ताना अंदाज में कहा |
"नहीं मिसेज शर्मा जी, ऐसी कोई बात नहीं है, बस मैं ले चुका हूं" ।
वर्मा जी ने मुस्कुराकर जवाब दिया |
मिसेस शर्मा : - "आप भाभी जी को साथ में नहीं लाए, क्या बात है? आप उनको भी ले आते तो महफिल में कुछ और ही रौनक होती" |
वर्मा जी :- " दरअसल उनकी तबीयत आज कुछ गड़बड़ है, वर्ना उनकी आने की पूरी तैयारी थी इसलिए उन्होंने आने से मना कर दिया और वैसे भी मैं तो आ ही गया हूं "|
वर्मा जी यह कहकर मुस्कुराने लगे और मिसेज़ शर्मा भी अन्य मेहमानों से बात करने लगीं |
शर्मा परिवार बहुत ही खुश और हर तरह से संपन्न है और आज मिस्टर प्रेरित शर्मा और मिसेज प्रेरणा दोनों की शादी की सालगिरह है । प्रेरित जो कि कई कंपनी के मालिक हैं और एक बहुत ही अच्छे इंसान भी हैं, मिसेस प्रेरणा एक बहुत अच्छी पत्नी, बहू और माँ भी हैं, प्रेरित का एक बेटा स्वप्निल है जो लगभग पाँच साल का होगा |
"अरे वर्मा जी कुछ लीजिए ना, और आपकी ग्लास और प्लेट तो दोनों खाली हैं, क्या वर्मा जी आप तो ना ही शरमायें" ।मिसेज़ शर्मा ने वर्मा जी से दोस्ताना अंदाज में कहा | "नहीं मिसेज शर्मा जी, ऐसी ...और पढ़ेबात नहीं है, बस मैं ले चुका हूं" ।वर्मा जी ने मुस्कुराकर जवाब दिया | मिसेस शर्मा : - "आप भाभी जी को साथ में नहीं लाए, क्या बात है? आप उनको भी ले आते तो महफिल में कुछ और ही रौनक होती" |वर्मा जी :- " दरअसल उनकी तबीयत आज कुछ गड़बड़ है, वर्ना उनकी आने की पूरी तैयारी थी इसलिए
प्रेरित मां के पास आता है और उनके सिर पर हाथ फेरते हुए कहता है –" क्या बात है मां, जो आपको इतना परेशान कर रही है और जो आप मुझसे कहना चाहती हो" | पुष्पा एक गहरी ...और पढ़ेलेती है और कहती है, –"बेटा… मैं तुम्हें एक बात बताना चाहती हूं, यह एक ऐसा राज है जो बरसों से मेरे दिल में चुभ चुभ कर नासूर बन गया है, मैं अब मरने वाली हूं यह मैं जानती हूं इसीलिए सच्चाई बता रही हूं | यह सच सुनकर शायद तू मुझे कभी माफ ना करें लेकिन तेरा जो भी फैसला होगा
मैने जब फोन उठाया तो फोन पर तुम्हारे पिताजी ने कहा–"पुष्पा ...मैं आज नहीं आ सकता हूं, मुझे कुछ इमरजेंसी एरिया में जाना होगा, सॉरी...लेकिन मैं वादा करता हूं की मैं जल्दी आऊंगा" | " मैंने फोन रख दिया ...और पढ़ेमन में बहुत सवाल और शिकायतें थी लेकिन मैंने नहीं की क्योंकि मैं जानती थी देश की सेवा और अपनी ड्यूटी उनके लिए सर्वोपरि थी और सही भी था । मैंने गुस्से में उनकी अलमारी से शराब की बोतल निकाली और पीने लगी, मेरी आंखों में उनका इंतजार अभी भी था । रात के दो बज चुके थे, मेरी आंखें नशे और नींद
अपनी मां पुष्पा के मुंह से यह सब सुनकर प्रेरित बिल्कुल अचेत सा हो गया और मां का हाथ हटाकर खिड़की के पास खड़ा हो गया । उसके हाथ पैर कांप रहे थे, उसे अपने आप पर शर्म रही ...और पढ़ेतो दूसरे पल मां पर क्रोध और फिर तीसरे ही पल उसमें बदले की आग भड़क उठी तभी पुष्पा ने रो कर कहा," बेटा.. मुझे माफ कर दो, मैं जा रही हूं" | प्रेरित ने कुछ देर सोचा फिर अपनी मां को गले लगाकर जोर जोर से रोने लगा और बोला, " माँ सिर्फ मां होती है, चाहे जैसी हो, जब बच्चे
मिस्टर रंजन को आज नहीं समझ आ रहा था की आखिर प्रेरित को आज हुआ क्या है इसलिए वो बार बार उससे पूछ रहे थे लेकिन वो कुछ और कहते इससे पहले प्रेरित ने उनके मुह मे कपड़ा ठूंस ...और पढ़ेऔर उन्हें बेड से बाँध कर सारी शराब की बोतलें बिस्तर और अपने चाचा जी पर फोड़ दीं | मिस्टर रंजन चिल्लाते रहे पर उनकी आवाज उनके मुह से बाहर न आ सकी और प्रेरित ने बेड में आग लगा दी, अपने चाचा को जलता तड़पता देख प्रेरित के दिल मे ठंडक पड़ रही थी | वो उन्हें जलता हुआ छोड़ सीधा