Begum pul ki begum urf book and story is written by Pranava Bharti in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Begum pul ki begum urf is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
बेगम पुल की बेगम उर्फ़ - उपन्यास
Pranava Bharti
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
घुँघरुओं की छनछनहाट क्यों और कहाँ से उसके कानों में पिघलने लगी थी, वहाँ वह गिरजाघर के प्राँगण में खड़ा था, कॉलेज का नया लेक्चरर अपने कॉलेज के छात्र-छात्राओं के साथ इस गिरजाघर की ज़मीन पर आया था | साथ में और कई प्रोफ़ेसर्स भी थे, न जाने उसे ऐसा अजीब सा अहसास क्यों हो रहा था ? कुछ ऐसा पहचाना अहसास जो उसे कहीं खींचे ले जा रहा था | उसे कुछ भी स्पष्ट नहीं था, न आवाज़, न ही वो धुंध जिसमें वह घिरा जा रहा था | पहले तो वह कभी यहाँ आया नहीं था फिर ?
1 -- घुँघरुओं की छनछनहाट क्यों और कहाँ से उसके कानों में पिघलने लगी थी, वहाँ वह गिरजाघर के प्राँगण में खड़ा था, कॉलेज का नया लेक्चरर अपने कॉलेज के छात्र-छात्राओं के साथ इस गिरजाघर की ज़मीन पर आया ...और पढ़े| साथ में और कई प्रोफ़ेसर्स भी थे, न जाने उसे ऐसा अजीब सा अहसास क्यों हो रहा था ? कुछ ऐसा पहचाना अहसास जो उसे कहीं खींचे ले जा रहा था | उसे कुछ भी स्पष्ट नहीं था, न आवाज़, न ही वो धुंध जिसमें वह घिरा जा रहा था | पहले तो वह कभी यहाँ आया नहीं था
2--- वह एक ऐसा ही दिन था जैसा हर रोज़ उगता है, उसकी खिड़की के बाहर से झाँकता , उसे आवाज़ देता सूरज, न उठने पर उसे सौ-सौ लानतें-मलामतें भेज रहा था जैसे ! प्रबोध एक अनुशासित परिवार का, ...और पढ़ेअनुशासित पिता का पुत्र ! बालपन से ही समय पर पिता की एक आवाज़ पर उठ बैठना, घर के सभी नियमों-कानूनों का पालन करना |लेकिन पता नहीं क्यों प्रबोध को कुछ अजीब सा लग रहा था वो दिन ! कुछ मन भारी व शरीर थका हुआ सा लेकिन कारण कुछ पता नहीं चल रहा था | न चाहते हुए भी
3 -- दिल्ली और मेरठ के बीच गाज़ियाबाद शहर स्थित है जहाँ गौड़ परिवार का निवास था | रामनाथ गौड़ के पिता मेरठ के पास बागपत से गाज़ियाबाद में आ बसे थे |उस समय यहाँ की बस्ती काफ़ी कम ...और पढ़ेधीरे-धीरे काफ़ी लोग इस शहर में आकर बसने लगे | इसका मुख्य कारण था दिल्ली का इस शहर से सटा होना| यमुना पार की और दिल्ली में पहुँच गए | काफ़ी लोग दिल्ली में व्यापार करते और शाम होने पर गाज़ियाबाद अपने घरों में पहुँच जाते | इसी प्रकार नौकरी करने वाले भी दिल्ली से अधिक गाज़ियाबाद में बसना पसंद
4 -- मेरठ में अब भी रामनाथ गौड़ के पूर्वजों का बड़ा सा घर था जहाँ साल में दो-चार बार तो वे अपने पूरे परिवार के साथ जाते थे |अकेले पति-पत्नी तो यदा-कदा जाते ही रहते थे | जबसे ...और पढ़ेने गाड़ी ली थी, पूरे परिवार को साथ आने-जाने में सुविधा हो गई थी | जाना ज़रूरी होता था | कारण थे उनके वयोवृद्ध माता-पिता जो बहुत कोशिश करने पर भी अब उनके पास रहने के लिए तैयार नहीं थे | पहले तो वे गाज़ियाबाद आ भी जाते थे, घर के लिए ज़मीन खरीदना और बनवाना भी उनकी ही इच्छा
5 --- इस बार सप्ताह के अंत में यानि शनिवार की रात को रामनाथ जी का पूरा परिवार मेरठ पहुँचा | 'बेग़म पुल' से उतरते हुए प्रबोध को एक अजीब सा अहसास हुआ | वह जब से समझदार हुआ ...और पढ़ेतब से बेग़म पुल को रचता-बसता देख रहा था |बेग़म पुल उसे एक अजीब सी मनोदशा में पहुँचा देता | उसे पार करने के बाद फिर से उसके दिमाग़ में उसकी एक धुंध भरी स्मृति रह जाती | उसके मस्तिष्क के पीछे एक अलग चित्र बन गया था जो उसे समझ में नहीं आ रहा था | मनोविज्ञान के प्रोफ़ेसर