इस कहानी में पूर्णा, रामकली और लक्ष्मी तीन सखियाँ हैं, जो मिलकर बहुत खुश रहती हैं। उनका समय हंसी-मजाक और बातचीत में बीतता है। पूर्णा और रामकली दोनों की सुंदरता में निखार आया है, जबकि लक्ष्मी की सुंदरता अद्वितीय है। तीनों में लक्ष्मी को विशेष रूप से अच्छे घर से पाला गया है, और वह संगीत में निपुण है। एक शाम, जब वे बातचीत कर रही थीं, पूर्णा ने रामकली से पूछा कि वह अब मंदिर क्यों नहीं जाती। रामकली ने कहा कि उसे वहाँ जाने का मन नहीं करता। लक्ष्मी ने मजाक में कहा कि घर में हंसने-बोलने का सामान है। रामकली ने लक्ष्मी को चेतावनी दी कि वह उनकी बातों में हस्तक्षेप न करे। पूर्णा ने लक्ष्मी को बताया कि वह रामकली को परेशान करती है, और बातचीत के दौरान रामकली ने कहा कि उसे मंदिर में होने वाली बातें नहीं बतानी हैं। अंत में, वे हंसी-मजाक में अपनी बातें साझा करने की कोशिश करती हैं। कहानी में दोस्ती, हंसी-मजाक और आपसी समझ को दर्शाया गया है।
प्रेमा - 12
Munshi Premchand
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
Four Stars
6.3k Downloads
16.3k Views
विवरण
प्रेमा प्रेमचंद का पहला उपन्यास था जो १९०७ में हिन्दी में प्रकाशित हुआ था। अध्याय 12 विषयसार - एक स्त्री के दो पुरुष नहीं हो सकते
संध्या का समय हैए डूबने वाले सूर्य की सुनहरी किरणें रंगीन शीशो की आड़ सेए एक अंग्रेजी ढ़ंग पर सजे हुए कमरे में झॉँक रही हैं जिससे सारा कमरा रंगीन हो रहा...
More Likes This
अन्य रसप्रद विकल्प
- हिंदी लघुकथा
- हिंदी आध्यात्मिक कथा
- हिंदी फिक्शन कहानी
- हिंदी प्रेरक कथा
- हिंदी क्लासिक कहानियां
- हिंदी बाल कथाएँ
- हिंदी हास्य कथाएं
- हिंदी पत्रिका
- हिंदी कविता
- हिंदी यात्रा विशेष
- हिंदी महिला विशेष
- हिंदी नाटक
- हिंदी प्रेम कथाएँ
- हिंदी जासूसी कहानी
- हिंदी सामाजिक कहानियां
- हिंदी रोमांचक कहानियाँ
- हिंदी मानवीय विज्ञान
- हिंदी मनोविज्ञान
- हिंदी स्वास्थ्य
- हिंदी जीवनी
- हिंदी पकाने की विधि
- हिंदी पत्र
- हिंदी डरावनी कहानी
- हिंदी फिल्म समीक्षा
- हिंदी पौराणिक कथा
- हिंदी पुस्तक समीक्षाएं
- हिंदी थ्रिलर
- हिंदी कल्पित-विज्ञान
- हिंदी व्यापार
- हिंदी खेल
- हिंदी जानवरों
- हिंदी ज्योतिष शास्त्र
- हिंदी विज्ञान
- हिंदी कुछ भी
- हिंदी क्राइम कहानी