Kishanlal Sharma ની વાર્તાઓ

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 17

by किशनलाल शर्मा
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और सैनिक अंगद को राजसभा के अंदर लेकर आये थे।अंगद को बैठने के लिये आसन नही दिया तब,उन्होंने स्वयं ...

रेल सेवा:कुछ यादें, कुछ किस्से-दो

by किशनलाल शर्मा
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मैं जोधपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा था। वहां में हाई कोर्ट रोड पर मुरलीधर जोशी भवन में एक कमरा ...

रेल सेवा:कुछ यादें, कुछ किस्से-एक

by किशनलाल शर्मा
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अजीब दास्तान है, मेरी,चाहता था, क्या बननाऔरकिस्मतकिस मोड़ पर ले आयी,उन दिनों, मै जोधपुर विश्व विद्यालय में बी एस ...

अदालत-मुकदमा और वकील - 2

by किशनलाल शर्मा
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कहानी तो मैं सुनाऊंगा, लेकिन पहले आज के हालात पर तो नजर डाल लें।कुछ घटनाएं जो सब की नजर ...

बन्धन प्यार का - 45

by किशनलाल शर्मा
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और नरेश पत्नी और माँ के साथ इंग्लैंड वापस आ गया था।फिर जिंदगी अपने उसी ढर्रे पर चल पड़ी।नरेश ...

अदालत-मुकदमा और वकील - 1

by किशनलाल शर्मा
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जब चीफ जस्टिस की और से एक कॉन्फ्रेंस में यह कहा गया कि हमे और जेले बनाने कि जरूरत ...

गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 21

by किशनलाल शर्मा
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-जब1से मैने होश सम्हाला क्या देखासबसे पहली बात लडक़ी अपना घर छोड़कर पति के घर आती हैउससे पहले उसकी ...

गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 20

by किशनलाल शर्मा
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और सभी परिवार की तरह रहते थे।इसी मकान से मैने छोटे भाई की शादी की थी।स श्याम वकील होने ...

प्यार की जीत - 5

by किशनलाल शर्मा
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क्या यह उचित होगा।और लीला गहरे सोच में पड़ गयी।अरुण बोला"माँ अगर तू चाहेगी तो तेरी पसन्द की लड़की ...

प्यार की जीत - 4

by किशनलाल शर्मा
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अरुण की बात सुनकर लीला बोली,"लिव इन के बारे में मैने भी सुना है।आजकल शहरों।मे एक नया प्रचलन शुरू ...