मै लेखक हु।सन 1978 से लगातार मेरी रचनाये पत्र पत्रिकाओं मे प्रकाशित हो रहीहैं।अनेक सम्मान व विधा वाचस्पति की उपाधि मिल चुकी है।पहली रचना"दीवाना तेज"मे 1978 मे प्रकाशित।तब से निरन्तर लेखन 6 किताबे प्रकाशित.3 ebook हिंदी और एक इंग्लिश में एक अंग्रेजी पोएट्री बुक Dont touch me पेपरबैक और ईबुक प्रकाशित.अभी एक लघुकथा संग्रह और प्रकाशित

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बात गंगा जमुना तहजीब की की जाती है।यह बात वही की जाती है जहाँ हिन्दू बाहुल्य है।अगर गंगा जमुनी तहजीब वास्तव में होती तो कश्मीरी पंडितों को वहा से भगाया नही जाता।
सवाल उठता है क्या हिन्दू मुस्लिम में प्रेम भाईचारा हो नही सकता?
हो सकता है अगर मुस्लिम समाज के ठेकेदार बने लोग चाहे तो।
हमे यह नही भूलना चाहिए कि हमारे देश मे जितने मुस्लिम है उनमें से कुछ प्रतिशत को छोड़कर हिन्दू है।उनके पूर्वज हिन्दू है।
सबसे पहले मुस्लिमो को यह करना होगा कि देश पहले और धर्म बाद में।मतलब पहले वह भारतिय है फिर मुसलमान।
उन्हें अपने नाम अरबी नही भारतीय रखने होंगे।तैमूर,औरंगजेब,अकबर,जहांगीर,रजिया,मेहरूनिशा नही चलेगा
दूसरे रोटी बेटी का सम्बन्ध स्थापित करना होगा।
तभी सच्चे मायनो में गंगा जमुना तहजीब हो पाएगी

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