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पानी रे पानी तेरा रंग कैसा - उपन्यास
SUNIL ANJARIA
द्वारा
हिंदी थ्रिलर
मेरे मार्गदर्शन में हमारा यह म्यूजीक ग्रुप गुजरात के जूनागढ़ शहर में आयोजित एक ख्यातनाम संगीत स्पर्धा में प्रत्याशी बनकर आया है। आज मेरी टीम के सभी कलाकार आने के बाद तुरंत हम सब रिहर्सल के लिए एकत्रित हुए। हम कुल 13 सभ्य है। 12 किशोर- किशोरियां और मैं उनका 24 वर्षीय शिक्षक। सभी कलाकार छोटे है लेकिन संगीत में काफ़ी माहिर है।
हमने मिलकर वाद्यों के साथ '.. जय हो..' गीत और कुछ सुरीले गीतों की पूरा दिन प्रेक्टिस की। प्रचंड, चीखती लेकिन शहद घोली आवाज़ के मालिक जयदिप राजपूत, जिसे सब जग्गा डाकू बोलते थे और कोयल सी सुरीली आवाज़ वाली तोरल ने मिलकर मैंने सिखाया इस तरह 'पानी रे पानी तेरा रंग कैसा..' का बख़ूबी गान किया।
रिहर्सल में सभीने पूरा सहयोग दिया। इन दो तीन दिन हमें साथ ही रहना है।
बच्चे काफी थक चुके थे अतः मैने रिहर्सल समाप्त घोषित किया।
1 22.8.2021 मेरे मार्गदर्शन में हमारा यह म्यूजीक ग्रुप गुजरात के जूनागढ़ शहर में आयोजित एक ख्यातनाम संगीत स्पर्धा में प्रत्याशी बनकर आया है। आज मेरी टीम के सभी कलाकार आने के बाद तुरंत हम सब रिहर्सल के लिए ...और पढ़ेहुए। हम कुल 13 सभ्य है। 12 किशोर- किशोरियां और मैं उनका 24 वर्षीय शिक्षक। सभी कलाकार छोटे है लेकिन संगीत में काफ़ी माहिर है। हमने मिलकर वाद्यों के साथ '.. जय हो..' गीत और कुछ सुरीले गीतों की पूरा दिन प्रेक्टिस की। प्रचंड, चीखती लेकिन शहद घोली आवाज़ के मालिक जयदिप राजपूत, जिसे सब जग्गा डाकू बोलते थे और
2 24.8.2021 सुबह होते ही हम सब किराए की साइकिलें ले कर निकल पड़े सासण की ओर। साथ में थोड़े बिस्किट, सेब, दो तीन पेंसिल टोर्च - यह सब रखे। मैंने वह विस्तार का नक्शा भी रखा। आगे तो ...और पढ़ेविभाग का जंगल आया। गुफ़ा का रास्ता किसी चरवाहे ने बताया। उसने कहा कि आगे घने जंगल से गुजरना होगा। गुफ़ा बड़ी है ऐसा कहते है लेकिन कितनी सलामत है यह उसे भी पता नही था। "सर, भरोसा रखो।वह गुफ़ा शुरू में संकरी है लेकिन आगे बहुत चौड़ी है, साठ किलोमीटर तक। जूनागढ़ शहर तक। मैने यू ट्यूब वीडीयो देखा
3 25.8.2021 ऐसा हुआ कि जिंदगी भर भूल नहीं सकेंगे। यह रिकॉर्ड करना शुरू किया तब कौनसा दिन या रात होगी, पता नहीं चला। मेँ नई तारीख लिखता हूँ। अब हमने वापस जाने का निर्णय लिया। थोड़ा चले तो ...और पढ़ेकल्पना भी नहीं की थी, आते वक्त तो सीधे आ गए, अब चार पांच पगडंडी से रास्ते निकलते थे। हम कौनसे रास्ते से आए थे? मैंने शायद मोबाइल पर दिखे तो मेप ऑन किया। इतने अंदर सिग्नल्स बंद थे। हम काफ़ी गहराई में जा चुके थे। ऊपर कहीं से थोड़ी रोशनी आ रही थी। आसपास ऊंची पर्वतमाला गुफ़ा के अंदर
4 26.8.2021 पूरी रात बीती होगी। यहाँ तो अंधेरा ही अंधेरा था। बहाव अब धीमा हुआ। मैंने मेरे खड़क पर से उस बच्चों को बातों में रखने पूछा "किसीको सिग्नल मिल रहे है?" दिगीश ने कहा उसका मोबाइल भीग ...और पढ़ेथा। मनीष ने ना कही। उसने पूछा "सर, आपको मिल रहे है?" मैंने देखा। 4जी ऑन किया। "ना। मुझे भी नहीं। ऐसा करो, मोबाइल सब पावर सेविंग मोड़ में रख दो। ब्लेक एन्ड व्हाइट स्क्रीन। कोई एप न चले। टोर्च जरूरत पड़े चालू करेंगे।" तनु ने हिम्मत करते उस ड़ाली हमारी ओर फेंकी। मैंने ड़ाली पकड़ी और तोरल ने मुझे।
5 27.8.2021 हम ईश्वर को प्रार्थना करने लगे। नीचे खूब गहराई तक पानी, आदमी अगर गीरे तो सीधा घुसकर दफन हो जाए ऐसा कीचड़, खूब गहरी बंध जगह में प्राणवायु का अभाव। नर्क का रास्ता ऐसा ही होगा क्या? ...और पढ़ेखूब ऊंचे, गुफ़ाकी छत में रहे कोई बड़े मुख से उजाला दिखाई दे रहा था। सवेरा हुआ होगा। वह मुख नहीं नहीं तो सौ फीट तो ऊंचे होगा ही। फिर भी हमने ताकत एकत्रित करते हो सके इतनी ऊंची आवाज़ में शोर मचाया। प्रतिघोष चारों ओर हुआ। हमने ड्रम और ब्युगल भी बजाए। कोई प्रतिभाव नहीं मिला। ऐसे ही फिर