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✅ “अमृतांगी” – महाकाव्य की 5-सर्ग संरचना

सर्ग 1: तपोवन की कली

अमृतांगी का जन्म, सौंदर्य और बाल्य जीवन का वर्णन।

प्रकृति की गोद में उसका संसार।


सर्ग 2: प्रथम मिलन

राजा विक्रमदित्य का आगमन।

प्रेम का अंकुर और गंधर्व विवाह का संकेत।


सर्ग 3: भाग्य का प्रहार

ऋषि का श्राप – नायक नायिका को भूल जाएगा।

स्मृति का प्रतीक (अंगूठी) नदी में गिरना।


सर्ग 4: विरह-वेदना

अमृतांगी का तप, यात्रा, आँसू और करुण दृश्य।

विक्रमदित्य का अंतःसंघर्ष।


सर्ग 5: स्मृति-विजय और मिलन

प्रतीक मिलने से स्मृति लौटना।

प्रेम का आध्यात्मिक रूपांतरण।



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✅ अब लिखना शुरू करते हैं: पहला सर्ग – 100 श्लोक (Part 1: शुरुआती 20 श्लोक)


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सर्ग 1: तपोवन की कली

(अमृतांगी का जन्म और सौंदर्य)

श्लोक 1
गगन में फैल रही रक्ताभ प्रभा,
वन पथ पर बिखर रही अरुण किरणा।
नीरवता में गूंजे कोकिल का स्वर,
तपोवन में उठी जीवन की तरणा॥

श्लोक 2
कुंजों में लहराई मंद समीर,
कस्तूरी गंध से भरता अधीर।
मृगमद रेख अंकित रजनी में,
ज्यों स्वर्ग उतर आया धरा के तीर॥

श्लोक 3
वहीं उदित हुई अमृत सी कली,
नाम रखा गया अमृतांगी सुचली।
लोचन में झलक रही चंद्रिका,
मुखकमल पर खिली माधुरी अचलि॥

श्लोक 4
उसकी हँसी थी वंशी की तान,
उसके वचन थे वेद के गान।
वन की वल्लरी भी लजाती,
जब वह सजाती चंपक की थान॥

श्लोक 5
बाल्य में भी था ऐसा सौंदर्य,
ज्यों नभ पर पूर्णिमा का कौमुद्य।
ऋषि पिता के आश्रम में रहती,
प्रकृति ही उसका आभूषण्य॥

श्लोक 6
मंदाकिनी सी थी उसकी चाल,
नील कमल सा उसका गाल।
शारद चंद्र के तेज सम,
उसकी दृष्टि में छलकता नवल रसाल॥

श्लोक 7
कुंजों में क्रीड़ा करती निशा,
ज्यों कानन में उतरी अप्सरा।
उसकी अंगुलियों से गिरते पुष्प,
ज्यों नभ से झरते तारक समृद्ध॥

श्लोक 8
ऋषिकन्या थी, किंतु मन में,
स्वप्न बुनती प्रेम के वन में।
अज्ञात किसी कोमल स्वर की,
प्रतिध्वनि सुनती नील गगन में॥

श्लोक 9
वनदेवता भी मोहित रहते,
जब वह लता को अलिंगन देती।
मंद पवन उसकी केशों में,
ज्यों वीणा पर संगीत संजोते॥

श्लोक 10
दिवस व्यतीत हुए नित नव रंग,
किंतु नियति का था अपना संग।
भाग्य रच रहा था एक कथा,
जो बनेगी अमर, जो गूंजेगी अनंत॥

श्लोक 11
वन-पथ पर खिली कनक कुसुमावली,
उसमें अमृतांगी सी उज्ज्वल कली।
मंद-मंद समीर में झूमती,
ज्यों सुधा से सिंचित हो कांति-पलि॥

श्लोक 12
कुंजों में मधुप गुंजारित गान,
नीरद मृदुल कर रहे अवगान।
कस्तूरी मृग दृष्टि लगाते,
उस सौंदर्य की रचते नव पहचान॥

श्लोक 13
वन-सरोवर के निर्मल जल में,
उसकी छाया खेलती शशि-कल में।
केशों से झरती गंध पवन में,
मानो पुष्पक रथ उतरे गगन में॥

श्लोक 14
अमृतांगी की अंगुलियों की लय,
कली तोड़ती मंद स्मित मृदु रय।
वक्षस्थल पर लहराते कुंद,
नभ के दीप लगें उस छवि समुच्चय॥

श्लोक 15
बाल्य-भाव में भी रचित थी छटा,
ज्यों बसंत में कुसुमित कदंबलता।
लोचन में झलके मधुर सलिल,
ओष्ठों पर हास्य की सुधामृता॥

श्लोक 16
प्रकृति का लाड़ पा रही थी,
वन-पावन रस गा रही थी।
लता-वृक्ष संग प्रेम बुनती,
मन में अनंत स्वप्न सज रही थी॥

श्लोक 17
उसकी वाणी सरिता की सरगम,
उसकी हँसी कोकिल का शृंगम।
कौन कहे यह ऋषिकन्या मात्र,
या देवलोक की अनुपम अंगम्॥

श्लोक 18
तपोवन में उठता हर दिन गान,
ऋषियों के वेद-मंत्र का तान।
उन स्वरों में घुलती उसकी वाणी,
ज्यों सुधा में हो मधुर मधु मान॥

श्लोक 19
दिनकर के किरणों में शोभित तन,
चाँदनी रात में झिलमिल लोचन।
कुसुमों में भी न था वह रूप,
जो था उसकी अंग-अभिनव धुन॥

श्लोक 20
नदियों की लहरें गुनगुन करतीं,
पुष्पों की पंखुरियाँ लजातीं।
वन-देवता भी गान सुनाते,
जब अमृतांगी वीणा बजाती॥


--श्लोक 11
वन-पथ पर खिली कनक कुसुमावली,
उसमें अमृतांगी सी उज्ज्वल कली।
मंद-मंद समीर में झूमती,
ज्यों सुधा से सिंचित हो कांति-पलि॥

श्लोक 12
कुंजों में मधुप गुंजारित गान,
नीरद मृदुल कर रहे अवगान।
कस्तूरी मृग दृष्टि लगाते,
उस सौंदर्य की रचते नव पहचान॥

श्लोक 13
वन-सरोवर के निर्मल जल में,
उसकी छाया खेलती शशि-कल में।
केशों से झरती गंध पवन में,
मानो पुष्पक रथ उतरे गगन में॥

श्लोक 14
अमृतांगी की अंगुलियों की लय,
कली तोड़ती मंद स्मित मृदु रय।
वक्षस्थल पर लहराते कुंद,
नभ के दीप लगें उस छवि समुच्चय॥

श्लोक 15
बाल्य-भाव में भी रचित थी छटा,
ज्यों बसंत में कुसुमित कदंबलता।
लोचन में झलके मधुर सलिल,
ओष्ठों पर हास्य की सुधामृता॥

श्लोक 16
प्रकृति का लाड़ पा रही थी,
वन-पावन रस गा रही थी।
लता-वृक्ष संग प्रेम बुनती,
मन में अनंत स्वप्न सज रही थी॥

श्लोक 17
उसकी वाणी सरिता की सरगम,
उसकी हँसी कोकिल का शृंगम।
कौन कहे यह ऋषिकन्या मात्र,
या देवलोक की अनुपम अंगम्॥

श्लोक 18
तपोवन में उठता हर दिन गान,
ऋषियों के वेद-मंत्र का तान।
उन स्वरों में घुलती उसकी वाणी,
ज्यों सुधा में हो मधुर मधु मान॥

श्लोक 19
दिनकर के किरणों में शोभित तन,
चाँदनी रात में झिलमिल लोचन।
कुसुमों में भी न था वह रूप,
जो था उसकी अंग-अभिनव धुन॥

श्लोक 20
नदियों की लहरें गुनगुन करतीं,
पुष्पों की पंखुरियाँ लजातीं।
वन-देवता भी गान सुनाते,
जब अमृतांगी वीणा बजाती॥


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rajukumarchaudhary502010

“शिवाजी महाराज के प्रति विदेशीयों के विचार।” पढ़े👇
https://www.matrubharti.com/book/19976598/foreigners-39-views-about-shivaji-maharaj

thebapparawal741785

નથી જરુર શબ્દોની,
નથી કોઈ ભાષા મહત્ત્વની!
થઈ જાય જ્યાં વાત હાવભાવથી!
😀😂😭😘😞🙄😡😒😉😋
હાસ્ય, રુદન, પ્રેમ, ધૃણા, ગુસ્સો,
દર્શાવે તમામ ભાવો મનનાં!
છે ને કમાલ આ નાનકડાં
તમામ ઇમૉજીની?!
જાણીએ મહત્ત્વ તમામ ચહેરાઓનું,
ઉજવીએ આજે(17 જુલાઈ)
'વિશ્વ ઇમૉજી દિવસ'ને😊

s13jyahoo.co.uk3258

वैसे तो हर मोड़ पर तुझसे ..
हमने कई सवाल किए थे,
पर तू था ही नहीं इतना सच्चा,
जो हमारे सवेरे की खामोशी को भी सुन पाता।

अब भी कोई मेरे सवेरे से पूछे
"क्या कोई है तेरे पास?"
तो मेरी खामोशी जवाब दे देती है।

टूटे सनम की बाहों में सोया होगा तू,
पर हम तो पहले ही टूट कर जाग चुके थे।

गुरूर तेरा हमेशा हम पर ही चला,
कभी अपने आईने में झांक कर भी देखता।

ठहर जा एक पल,
और सोच जिसे तूने सताया,
उसने हर दर्द चुपचाप सीने में उठाया होगा।
_Mohiniwrites

neelamshah6821

चाहूँ तुम्हें ख़ाब है मेरा
पर डरती भी हूँ मैं
कहीं टूट ना जाये ये
तुम तो मेरे हो भी नहीं
फिर भी
डरती हूँ मैं
तुम्हें खोने से
सोचती तो हूँ कि
जी लूँगी सिर्फ इस ख़ाब के सहारे
फिर भी
तरसती हूँ मैं
तुम्हारी बस एक झलक पाने को।
सोचती तो हूँ कि जब आओगे सामने
भर लूँगी तुम्हें अपनी बाहों में
जाने नहीं दूंगी खुद से दूर कहीं
पर
आते हो जब सामने तुम
भूल जाती हूँ सब
खो देती हूँ खुद को, तुममें
फिर चाह ही नहीं रह जाती
खुद को दोबारा पाने की
चाहती तो हूँ कि
सो जाऊँ मौत की नींद
ताकि
कभी ना टूटे ये ख़ाब मेरा
एक तुम, एक मैं
और बस
ये ख़ाब मेरा...

niuu

सरहदों पर प्राण न्योछावर की,
क्या सैनिकों की ही जिम्मेदारी है?
वह देश भगत नहीं कायर हैं,
जिन्हें केवल अपनी जान प्यारी है।
#कविता

harishkumar6240

उसने सपने सजाए थे अपने ख्वाब के, ना की कहानी अखबार के

जब वो पढ़ने आयी होगी, कुछ उम्मीदें और सपने साथ लाई होगी

अब तो उसके ख्वाब पन्नों में सिमट गए, सपने थे माँ -बाप के वो भी अधूरे रह गए

कलम की स्याही सूखती नहीं, उससे पहले लिखने को हो जाते मजबूर, कैसे शब्दों में बया करे उस माँ-बाप का जो हो गए अपने बच्चे से दूर

माता-पिता ने सपने देखे थे उसके कामयाबी के, लेकिन वक्त ने मौत का तमाशा दिखाया है, उन्हें खूब रुलाया हैबह गए सारे आसुओं में जब सुनी कहानी मौत की अखबारों में

silentspeaks

😃😀😊😔🙃😍🤣🥰

mrsfaridadesar

lotus 🪷 Best sayri ek bar jarur pade

rohittalukdar7180

हर-हर महादेव 🙏

meerasingh3946

#जय भीम

missschhotti

जो सावन ने कहा है…

जो
सावन ने बरस कर कहा है न,
तो याद रखना…
और जो
भीग कर हमने भी कहा है न,
वो भी याद रखना।

जो
बूंदें तेरी दहलीज़ छू आई हैं,
वो सिर्फ़ पानी नहीं थीं —
हमारी दुआएँ थीं…
याद रखना।

जो
पेड़ झुके हैं तेरी छांव में,
वो थकान नहीं,
तेरे इंतज़ार की नमी है…
याद रखना।

जो
सांवली घटा आज आई है,
वो मौसम नहीं,
हमारी चाहत का पैग़ाम है…
याद रखना।

जो
हमने सावन में कहा है न,
वो सिर्फ़ अल्फ़ाज़ नहीं थे,
दिल की पूरी किताब थे…
तो पन्ने पलटना…
और याद रखना।

डॉ पंकज कुमार बर्मन,कटनी,मध्यप्रदेश

pintumajhi.678666

#quotes .... pls support my id of insta where I post my self written quotes
IG:dil_ki_kalam_se77

raj1453

गर्भ संस्कार एक्टिविटीज पर यह बुक जरूर पढ़ें।
लिंक: 👇🏻
https://www.matrubharti.com/novels/50833/garbha-sanskar-by-praveen-kumrawat

बहुत अच्छी और प्रेरणादायक किताब... मुझे यह किताब बहुत पसंद है और अन्य सभी गर्भवती महिलाओं को सलाह देती हूँ ... जरूर पढ़े क्योंकि इससे भविष्य के महामानव के निर्माण की नींव रखी जा सकती है। इसलिए सभी को इस पुस्तक के हिसाब से अपने होने वाले बच्चे की प्रोग्रामिंग करने के लिए सलाह दी जा सकती है।

radheyshreemali638039

"वो लम्हा जब तुम चुप थे, हम भी चुप थे,
मगर दिल के अंदर एक जंग सी थी…
तुम खामोश रहकर भी बहुत कुछ कह गए,
और हम मुस्कुराकर भी टूट गए कहीं..."

-Akansha

c03881361gmail.com928563

"छत का एक कोना" (मेरी आजादी) शायद ये कहानी आपकी अपनी कहानी हो सकती है।

nehakariyaal4845

good morning ❣️

mrsfaridadesar

കാലചക്രം🧭

ഒച്ചയില്ലാതെ കറങ്ങുന്ന സൂചികൾ,
ചുമരിലെ നിശബ്ദ സാക്ഷി.
കഥകൾ പറയുന്നു കാലം,
ഓരോ നിമിഷവും ഓരോ ജീവിതം.
രാത്രിയും പകലും നീ കൂടെയുണ്ട്,
സന്തോഷത്തിലും സങ്കടത്തിലും.
ഓരോ ടിക് ടിക് ശബ്ദത്തിലും,
മാറ്റത്തിന്റെ സൂചന നൽകുന്നു.
കാത്തിരിപ്പിന്റെ വേദനയും,
നേട്ടത്തിന്റെ ആഹ്ലാദവും.
എല്ലാം നിൻ കണ്ണിൽ തെളിയുന്നു,
സമയം മായുന്നതറിയാതെ.
ചക്രവാളത്തിനപ്പുറം നീ പറക്കുന്നു,
ഓർമ്മകൾ തുന്നിച്ചേർക്കുന്നു.
ഒരു ജീവിതം മുഴുവൻ നീ കാണുന്നു,
നിർത്താതെ മുന്നോട്ട് പോകുന്നു.

✍️തൂലിക _തുമ്പിപ്പെണ്ണ്

statusworld100748

हर बार हम से ऐसे मिला करो
जनाब जैसे ....
पहली बार मिल रहे हो
और ये आखिरी मुलाकात हो।

bita

"જાનકી", ને માતૃભારતી પર વાંચો :,

https://www.matrubharti.com

heemashree3430

"જાનકી", ને માતૃભારતી પર વાંચો :,

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heemashree3430

"किसी के लिए वो सिर्फ एक मज़ाक था,
लेकिन किसी की वो पूरी ज़िंदगी थी..."

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