vandana A dubey ની વાર્તાઓ

सुरतिया - 6 - अंतिम भाग

by vandana A dubey
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गुड्डू ने झटपट अपनी टेबल खाली कर दी थी. बाउजी ने वहीं अपना सामान जमाया. दो-तीन दिन खूब रौनक ...

सुरतिया - 5

by vandana A dubey
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सुधीर की आवाज़ पड़ गयी थी बाउजी के कानों में. उन्हें लगा, लौट जायें, लेकिन फिर आ गये टेबल ...

सुरतिया - 4

by vandana A dubey
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सरोज और सुधीर, दोनों का ही महीने के पहले हफ़्ते में मूड अच्छा रहता है, तब तक, जब तक ...

सुरतिया - 3

by vandana A dubey
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आप सोच रहे होंगे कि हम इतना सब क्यों बता रहे? अरे भाई! न बतायें, तो आप बाउजी को ...

सुरतिया - 2

by vandana A dubey
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अचानक गुड्डू को याद आया कि उसके स्कूल में भी तो लोककला पेंटिंग होने वाली है, वो भी नेशनल ...

सुरतिया - 1

by vandana A dubey
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’नमस्ते बाउजी. कैसे हैं?’बाहर बरामदे में बैठे बाउजी यानी रामस्वरूप शर्मा जी, सुधीर के दोस्त आलोक के इस सम्बोधन ...

भदूकड़ा - 58 - अंतिम भाग

by vandana A dubey
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दोनों बहनें पहले रक्षाबंधन पर गांव आती थीं , दो-चार दिन आराम से बीतते उनके फिर कुंती की बड़बड़ाहट ...

भदूकड़ा - 57

by vandana A dubey
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कुंती ने पहले कभी ध्यान नहीं दिया था, लेकिन अब देख रही है कि हर आदमी उससे दूर भाग ...

भदूकड़ा - 56

by vandana A dubey
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कुंती की समझ मे भी सुमित्रा जी की सलाह आ गयी थी शायद। गाँव पहुंचते ही उसने सबसे पहले ...

भदूकड़ा - 55

by vandana A dubey
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साल भर तक तो कुंती छोटू के घर गयी ही नहीं। बाद में जब छोटू की बेटी की शादी ...