22 नवम्बर , १९३३ को दुर्ग में राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी का आगमन हुआ मोती-तालाब मैदान ...
हमारी जुबान को एक धमकी में कोई भी, किसी भी वक्त बंद करवा सकता था एक बार बंद ...
मुझे ये भी लगा कि, अब ज्यादा भाव खाने से बात बिगडनी शुरू हो जायेगी मेरी स्तिथि ...
हमारा प्रयास होना चाहिए कि रोड-शो के अंजाम को रूबरू देखें शामिल होने वालों की कद-काठी पहचाने ...
सदर बाजार के एक और मारवाड़ी जिनका सोने-चांदी का बिजनेस था,पुरोहित के नक्शे –कदम में टोपी पहना करते थे ...
नहीं बाटने वाली चीजे भी भगवान ने बनाई है वो है ‘उपर की आमदनी’ इस आद्रिश आमदनी को लोग ...
ज़रा सी उनकी छींक –जुकाम में,पार्टी के दफ्तर में ताला जड जाता था पार्टी के लोग ...
मैंने कहा भाई गनपत ,साफ-साफ कहो ,पहेलियाँ मत बुझाओ वैसे पिछले महीने भर से इलेक्शन वाली ...
वो थानेदार इंटरव्यू देने के नाम पे बहुत काइयां है बड़े से बड़ा कॉड हो जाए वो मुह ...
हिज हाईनेस ने मंत्री-मंडल से मुखातिब होके पूछा ,कब तक रिपोर्ट मिल जाएगी मंत्री लोग एक-दूसरे ...