Suryabala ની વાર્તાઓ

होगी जय, होगी जय... हे पुरुषोत्तम नवीन!

by Suryabala
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सूर्यबाला बात फैल गई चारों ओर! जंगल की बात, जंगल की आग की तरह! अरुण वर्मा ने आज फिर ...

हिंदी साहित्य की पुरस्कार परंपरा

by Suryabala
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सूर्यबाला हिंदी साहित्य के लेखकों को दो प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है - एक, पुरस्कृत लेखक ...

सुनंदा छोकरी की डायरी

by Suryabala
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सूर्यबाला आज मैं कितने सुब्‍बे-सुब्‍बे उठ गई। खुशखुश बाल बनाया, पीला रिबन बाँधा। माँ के काम वाली बाई का ...

बाऊजी और बंदर

by Suryabala
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सूर्यबाला उन्‍हें फिर से बच्‍चों की बहुत याद आ रही है। सुनते ही मैंने सिर कूट लिया। सिर कूटने ...

देश-सेवा के अखाड़े में...

by Suryabala
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सूर्यबाला यह खबर चारों तरफ आग की तरह फैल गई कि मैं देश-सेवा के लिए उतरने वाला हूँ। जिसने ...

जूते चिढ़ गए हैं...

by Suryabala
  • 6.6k

सूर्यबाला जूते चिढ़ गए हैं इन दिनों। कहते हैं, यह हमारी तौहीनी है। ये क्या कि हमें जिस-तिस पर ...

एक स्त्री के कारनामे

by Suryabala
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सूर्यबाला मैं औसत कद-काठी की लगभग खूबसूरत एक औरत हूँ, बल्कि महिला कहना ज्‍यादा ठीक होगा। सुशिक्षित, शिष्‍ट और ...

गर्व से कहो हम पति हैं

by Suryabala
  • 6.2k

सूर्यबाला महिलाओं को मालूम है कि जिस तरह हर सफल पुरुष के पीछे कोई महिला होती है उसी तरह ...

आखिरी विदा

by Suryabala
  • 8.9k

सूर्यबाला सुबह से तीन बार रपट चुकी थीं वे। एक बार, किचेन में टँगी जाली की आलमारी से खीर ...

क्या मालूम

by Suryabala
  • 7.1k

सूर्यबाला अधबूढ़ी-सी मैं...। सोचा था, हवेली भी अधबूढ़ी ही मिलेगी। उखड़ी-पखड़ी, झँवाई, निस्‍तेज। पर वह तो जैसे बरसों-बरस की ...