Seema Singh ની વાર્તાઓ

मुखिया काका

by Seema Singh
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“मुखिया चाचा नहीं रहे, विमला...” फोन का रिसीवर रख, अरविंद ने पत्नी के निकट आकर कहा, तो एक बार ...

नई सुबह

by Seema Singh
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“टन-टन...” दीवार पर टंगी घड़ी ने समय बताया तो चौंक कर सिर ऊपर कर वैशाली बड़बड़ाई, “उफ़.! आज फिर लेट ...

अधकढ़ा गुलाब

by Seema Singh
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“अरे, आप अँधेरे में क्या कर रही हो? कौन सा खजाना खोल कर बैठी हो, मम्मा, जो हमारी आवाज़ ...

सोलमेट्स

by Seema Singh
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भागती-दौड़ती कॉलेज के लिए तैयार होती संजना की एक नजर घड़ी पर लगातार बनी हुई थी, अगर बस छूट ...

अधूरा प्रायश्चित

by Seema Singh
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“ सर, इमरजेंसी है, जली हुई औरत है, एट्टी परसेंट जली हुई है.” जूनियर डॉक्टर ने चैम्बर में झांक ...

पुनरागमन

by Seema Singh
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“ हांजी ! हमें पता है. सच में? अच्छा ठीक है कल बात करतें है. अरे काम है मुझे.. ...

भाभी माँ

by Seema Singh
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“क्या बना रही है रूपा” बगल वाली चाची की आवाज़ सुन कर रुपाली ने सिर उठा कर ऊपर देखा और ...

परिवार

by Seema Singh
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पूरे मोहल्ले के लिए पहेली था ये परिवार। परिवार भी क्या―एक करीब साठ-पैंसठ साल के वृद्ध, और एक सुदर्शन ...