सिमरन जयेश्वरी ની વાર્તાઓ

पँख आज़ादी...

by सिमरन जयेश्वरी
  • 4.7k

पंख: आज़ादी... . . . . . किसी पहाड़ी क्षेत्र का दृश्य... चारों तरफ केवल घना जंगल, पौधे, झुरमुटों ...

डोर (धर्म और कर्म की)...

by सिमरन जयेश्वरी
  • 5.5k

वो आज खुद को आईने के सामने बेठ के निहारे जा रही थी।आज उसकी चेहरे की चमक एसी थी ...

कड़क रोटी...

by सिमरन जयेश्वरी
  • 6.9k

"उफ़्फ़!!! यार मैं तंग आ चुकी हूं। इस रोटी मेकर को भी आज ही खराब होना था।" किचन में ...

खुशियों की दहलीज़...

by सिमरन जयेश्वरी
  • 4.9k

अरुणा खिडकी से सट कर खड़ी थी। वो अपनी शादी से पहले का दिन याद कर रही थी , ...

निवेदन पत्र...

by सिमरन जयेश्वरी
  • 16k

"और ये पूरी ताकत के साथ बंटी ने लगाया सिक्स...!!!!!" छोटे कमेंटेटर बल्लू ने हाथ में पकड़ा हुआ बोटल ...

खाली हाथ नहीं लौटते...

by सिमरन जयेश्वरी
  • (4.3/5)
  • 6.6k

खाली हाथ नहीं जाते... . . . . . "काका....???? ओ काका...!!! क्या लाये हो मेरे लिए....!!!" उसने काका ...

हम समय के पाबंद है

by सिमरन जयेश्वरी
  • 5.2k

"माँ कितना टाइम हो गया है...?????" उसने नींद से जागते और उबासी लेते हुए पूछा। दर्शन कुलश्रेष्ठ एक मल्टीनेशनल ...

मुलाक़ात...

by सिमरन जयेश्वरी
  • 5.1k

संडे का दिन... आज जब सुबह-सुबह जाग कर छत अपनी आदतानुसार छत पर टहल रही थी। तभी नज़र सामने ...

कच्ची उम्र का मायाजाल...

by सिमरन जयेश्वरी
  • 7.1k

हिमांशी अपने परिवार में सबसे छोटी थी। उसके अलावा परिवार में उसके बाबा, बड़ा भाई और बड़ी बहन थी। ...