सुनो पुनिया (1) घाम की चादर आंगन के पूर्वी कोने में सिकुड़ गई थी. पुनिया ने मुंडेर की ओर ...
वह चेहरा (1) मध्य दिसम्बर का एक दिन. सुबह की खिली-खिली धूप और लॉन में पड़ी बेंचें. बेंचों पर ...
भीड़ में (1) सुनकर चेहरा खिल उठा था उनका. उम्र से संघर्ष करती झुर्रियों की लकीरें भाग्य रेखाओं की ...
बिद्दा बुआ (1) आवाज बुआ की ही थी, जिन्हें सारा गांव बिद्दा बुआ कहकर पुकारता है "उठो भाइयो भोर ...
पी.के. (1) बालभवन के पास चाय की दुकान पर वह मित्र के साथ चाय पी रहा था. उनके हाथों ...
क्रान्तिकारी (1) समस्या ज्यों-की त्यों विद्यमान थी. सात महीने सोचते हुए बीत गये थे, लेकिन न तो शैलजा ही ...
आदमखोर (1) भूरे - काले बादलों का समूह अचानक पश्चिमी क्षितिज में उभरने लगा. सरजुआ के हाथ रुक गये. ...