Rajni Gosain ની વાર્તાઓ

बटुआ

by RAJNI
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सोमनाथ जी को कार्यालय से घर आए हुए आधा घंटा हो चुका था! आज वह हाथ मुँह धोकर, कपडे ...

तीन औरतों का घर - भाग 7 (अंतिम क़िस्त)

by RAJNI
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तीन औरतों का घर - भाग 7 (अंतिम क़िस्त) सामान बांधते हुए साबिर सोचने लगा! क्या हामिदा उस ...

तीन औरतों का घर - 6

by RAJNI
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तीन औरतों का घर - भाग 6 हामिदा के निकाह के बाद साबिर का मन भी इस कस्बे ...

तीन औरतों का घर भाग - 5

by RAJNI
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तीन औरतों का घर भाग- 5 रात के दो पहर बीत चुके थे! दोनों घर में सन्नाटा पसरा था! ...

तीन औरतों का घर - 4

by RAJNI
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तीन औरतों का घर - भाग 4 दुनिया जहान की सारी दौलत साबिर के हाथों में थी! जब शफी ...

तीन औरतों का घर - 3

by RAJNI
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तीन औरतों का घर - भाग 3 अभी तक साबिर पिछली मुलाक़ातों के गुणा भाग करके ही हामिदा के ...

तीन औरतों का घर - 2

by RAJNI
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तीन औरतों का घर - भाग 2 कही मैं बस सोचता ही रह जाऊं और हामिदा का डोला कोई ...

तीन औरतों का घर -1

by RAJNI
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"गली के कोने में हरे सफ़ेद रंग की मटमैली सी सफेदी लिए जो मकान हैं, वो देखिये जिसके ...

अकेलापन

by RAJNI
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वह अलसाया सा बिस्तर पर लेटा था! नींद तो उसकी सुबह ही चिड़ियों की चहचहाट से कब की खुल ...

मोबाइल फ़ोन

by RAJNI
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सावन की ऋतु ने जैसे सारे वृक्षों और पौधों को नहला दिया हो! हरे रंग की आभा लिए पेड़ ...