Priya Saini ની વાર્તાઓ

समानता

by priya saini
  • 8.7k

प्राचीन काल से ही भारत में समुदायों के बीच भेदभाव देखा गया है। प्राचीन भारत ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व ...

किरदार - 9

by priya saini
  • 5.9k

अंजुम को माँ की याद आने लगती है। वह चुप चाप अपने बिस्तर पर बैठ जाती है।समीर कमरे में ...

किरदार - 8

by priya saini
  • 7.4k

बिंदिया दरवाज़ा खड़काती है।बिंदिया: भाभी, भाभी….समीर: अरे आ जा अंदर बिंदिया की बच्ची। (समीर,बिंदिया की खिंचाई करते हुए कहता ...

किरदार - 7

by priya saini
  • 18.9k

समीर: चलो अंजुम, नहीं तो फिर आ जाएगी वो परेशान करने।अंजुम: ठीक है पर वो परेशान नहीं कर रही ...

किरदार- 6

by priya saini
  • 6.2k

समीर उसकी झुल्फों को दूर से निहार रहा है। अंजुम का काजल लगाना, हाथों में लाल चूड़ा, लाल बिंदी ...

किरदार - 5

by priya saini
  • 7.2k

माँ अंजुम को गले लगाकर रो रही है, अंजुम भी रो रही है पर अब उसने माँ से कुछ ...

किरदार- 4

by priya saini
  • 6.7k

माँ: अंजुम….अंजुम, उठ जा अब जल्दी। भोर हो गई।सारे रिश्तेदार आ चुके हैं। घर में बहुत चहल-पहल है, कोई ...

किरदार - 3

by priya saini
  • 7.4k

माँ खाने के थाली लगाकर अंजुम के पास आती है और कहती है, "खाना नहीं खायेगी तो ताकत कैसे ...

किरदार - 2

by priya saini
  • 9.7k

दूसरे दिन सब लोग सुबह से ही काम में जुट जाते हैं। घर को सजाना है, गाने बजाने का ...

किरदार

by priya saini
  • 10.1k

माँ का सपना बस पूरा ही होने वाला था, दो दिन बाद अंजुम की शादी जो थी। माँ ने ...