Pranava Bharti ની વાર્તાઓ

शून्य से शून्य तक - भाग 49

by Pranava Bharti
  • 351

49=== अचानक आशी टेबल से उठ खड़ी हुई| “पापा ! आज मैं कुछ देर में आऊँगी| आप लोग चलिए---”आशी ...

शून्य से शून्य तक - भाग 48

by Pranava Bharti
  • 687

48=== “क्या बात है आशी? ”मनु भी दरवाज़े से हटकर अंदर आ गया| “इतना घबरा क्यों रहे हो? डरते ...

उजाले की ओर –संस्मरण

by Pranava Bharti
  • 582

मनुष्य का स्वभाव है कि वह सोचता बहुत है। सोचना गलत नहीं है लेकिन जब चिंतन चिंता में बदल ...

शून्य से शून्य तक - भाग 47

by Pranava Bharti
  • 639

47==== अगले दिन का सुबह का वातावरण हमेशा की तरह था। चुप्पी से भरा!हाँ, एक बदलाव हुआ था कि ...

शून्य से शून्य तक - भाग 46

by Pranava Bharti
  • 672

46=== आशिमा और अनिकेत के आने से घर में एक खुशी और उत्साह का वातावरण बन गया था| आज ...

उजाले की ओर –संस्मरण

by Pranava Bharti
  • 528

=================== सभी पाठक मित्रों को सस्नेह नमस्कार कभी कभी हम व्यर्थ की बहस में पड़कर अपनी मानसिक व शारीरिक ...

शून्य से शून्य तक - भाग 45

by Pranava Bharti
  • 828

45==== दो/तीन दिन यूँ ही चुप्पी से भरे हुए बीते| सारा वातावरण खामोशी से भर गया था| सभी के ...

शून्य से शून्य तक - भाग 44

by Pranava Bharti
  • 725

44=== माधो, आशिमा, रेशमा कमरे में एक ओर चुपचाप खड़े थे| दोनों लड़कियाँ दीना अंकल को इस प्रकार फूट-फूटकर ...

शून्य से शून्य तक - भाग 43

by Pranava Bharti
  • 789

43==== दीना जी उस समय किसी ईवेंट मैनेजर से बात कर रहे थे| बच्चों के आते ही उन्होंने उनसे ...

शून्य से शून्य तक - भाग 42

by Pranava Bharti
  • 771

42=== अनिकेत के माता-पिता को आशिमा बहुत पसंद आई | वह एक समझदार, विवेकशील, शिक्षित लड़की थी जो अपने ...