Pradeep Shrivastava ની વાર્તાઓ

एमी - भाग 5 (अंतिम भाग)

by Pradeep Shrivashtava
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भाग -5 मगर इस डिसीज़न ने मेरे कॅरियर पर बहुत बुरा प्रभाव डाला। मदर से एक लंबे गैप या ...

एमी - भाग 4

by Pradeep Shrivashtava
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भाग -4 "मैंने बहुत कोशिश की माय चाइल्ड, लेकिन मैं विवश हूँ। मुझे ऐसा लगता है कि जैसे वह ...

एमी - भाग 3

by Pradeep Shrivashtava
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भाग -3 जब उन्होंने प्रेयर ख़त्म की तो मैं एकदम उनके सामने आ गई। ऐसा मैंने यह सोचकर किया ...

एमी - भाग 2

by Pradeep Shrivashtava
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भाग -2 दिल्ली में भाई और कई रिलेटिव्स को मैंने कॉल कर दी थी। कुछ रिलेटिव रात भर हमारे ...

सेकेण्ड वाइफ़ - भाग 4 (अंतिम भाग)

by Pradeep Shrivashtava
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भाग-4 प्रदीप श्रीवास्तव इस संशय के बीच एक बजते ही मैं बात करने के लिए मोबाइल उठाता और फिर ...

एमी - भाग 1

by Pradeep Shrivashtava
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भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव मुझे बाइक चलाना बहुत पसंद है। बहुत ज़्यादा। जुनून की हद तक। जब मैं एट ...

सेकेण्ड वाइफ़ - भाग 3

by Pradeep Shrivashtava
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भाग-3 प्रदीप श्रीवास्तव मैं बोलने ही जा रहा था कि अचानक ही उसने अपनी मध्यम हील की गुलाबी सी ...

सदफ़िया मंज़िल - भाग 4 (अंतिम भाग)

by Pradeep Shrivashtava
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भाग -4 “इसी बीच एक दिन, एक दल्ला, एक ग्राहक रणजीत बख्स सिंह को लेकर इनके पास आया। यह ...

सेकेण्ड वाइफ़ - भाग 2

by Pradeep Shrivashtava
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भाग-2 प्रदीप श्रीवास्तव वह मोबाइल पर फिर कुछ टाइप करने लगीं। दोनों हाथों से मोबाइल पकड़े अँगूठे से बड़ी ...

सदफ़िया मंज़िल - भाग 3

by Pradeep Shrivashtava
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भाग -3 हँसली ने यह कहते हुए दूर से ही ज़किया की बलाएँ लेते हुए अपने दोनों हाथों की ...