आदित्य की बात सुनकर स्वाति इधर उधर देखन लगती हैं.. ओर उसे सोरी सर कहते हुए बैठ जाति है ...
हा बाबा उतने में ही वापस आ जायेंगे .. चलो न अब मेरे साथ .. आज तो मोज मस्ती ...
आदित्य के वहा से जाने के बाद स्वाति भी अंडर आ जाती हैं.... तभी स्वाति की मम्मी उसे कहती ...
वो एक दुकान के सामने जा कर खड़ी हो जाति है .. वो पूरी दुकान कपड़ो से घेरी हुई ...
काम कर रहे आदित्य को स्वाति लगातार देख रही थी! उसको देखते हुए स्वाति अपने मन ही मन में ...
जय द्वारिकाधिश..जय श्री कृष्ण.. जय भोलेनाथ...... ॐ नमः शिवाय.. गणेशाय नमः....दोपहर के १२ बजे ..... (दिल्ली में)एक कमरे में ...
स्वाति ये सुनते ही कहती है; दरहसल बात ये हैं कि .. में मेरी फ्रेंड के कमरे से बाहर ...
अभी आदित्य ये सब कुछ सोच ही रहा था! तभी उसे स्वाति कई दिखा नहीं दे रही थी! ये ...
फाइल लेकर आदित्य उसे अपनी कार में रख देता है।। न चाहते हुए भी स्वाति को अब आदित्य से ...
सांप को देख कर न जाने अनंता को कुछ हो जाता हैं! ओर वो लगातार सांप को देखे जा ...