Neerja Hemendra ની વાર્તાઓ

उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 31 (अंतिम भाग)

by Neerja Hemendra
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भाग 31 सचमुच अभय ने तथागत् के शब्दों के सही अर्थों को समझा है। मैं समझ नही पा रही ...

उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 30

by Neerja Hemendra
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भाग 30 दीदी का जीवन समय की नदी में चलते-चलते सहसा जैसे मँझधार में अटक गया हो। जीवन की ...

उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 29

by Neerja Hemendra
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भाग 29 " चलो कोई बात नही। तुमने अपना सब कुछ स्वंय सम्हाला है। एक साहसी, संवेदनशील महिला का ...

उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 28

by Neerja Hemendra
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भाग 28 मेरे बार-बार हँस पड़ने का कारण यह था कि अनिमा ने परिस्थिति ही ऐसी बना दी थी। ...

उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 27

by Neerja Hemendra
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भाग 27 " अच्छा! कहाँ मिला उसे ऐसा बच्चा....? " माँ उत्सुक थीं, जैसे सब कुछ शीघ्र जान लेना ...

उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 26

by Neerja Hemendra
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भाग 26 " मैंने एक एन0 जी0 ओ0 की सदस्यता ग्रहण कर ली है। शाम को कार्यालय व घर ...

उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 25

by Neerja Hemendra
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भाग 25 मेरे साथ उसके सम्बन्ध अब मधुर नही रहे, अतः मेरे समक्ष प्रस्ताव रखने का प्रश्न ही नही ...

उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 24

by Neerja Hemendra
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भाग 24 बहुत दिनों के पश्चात् राजेश्वर का फोन आया था। उसे अच्छा लगा कि राजेश्वर इतना स्वस्थ को ...

उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 23

by Neerja Hemendra
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भाग 23 म्हिलाएँ घुटनों तक पानी में उतर कर सूर्यदेव को अर्पण के लिए प्रसाद के रूप में थोड़ी-थोड़ी ...

उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 22

by Neerja Hemendra
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भाग 22 आजकल प्रातः नित्यकर्म से निवृत्त हो, नहा धोकर ताऊजी बाहर बारामदे में तख़्त पर बैठ जाते। वहीं ...