Mohd Arshad Khan ની વાર્તાઓ

इंद्रधनुष सतरंगा - 25 - Last Part

by Mohd Arshad Khan
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दो दिन बाद पंद्रह अगस्त था। आतिश जी पार्क में अकेले खड़े थे। बीती हुई यादें मन में उमड़-घुमड़ रही ...

इंद्रधनुष सतरंगा - 24

by Mohd Arshad Khan
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मोबले का स्कूटर बिगड़ गया। सुबह-सुबह स्कूटर निकालकर चले ही थे कि मौलाना साहब के दरवाजे़ तक पहुँचते-पहुँचते वह ‘घुर्र-घुर्र’ ...

इंद्रधनुष सतरंगा - 23

by Mohd Arshad Khan
  • 6.5k

कर्तार जी को दिल्ली जाना था। आतिश जी ने उनका रिज़र्वेशन करा दिया था। कर्तार जी एजेंसी के कामों से ...

इंद्रधनुष सतरंगा - 22

by Mohd Arshad Khan
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बारिश के मौसम में यूँ तो आँधी नहीं आती, पर कभी-कभी पुरवाई पेड़-पौधों को ऐसा गुदगुदाती है कि वे ...

इंद्रधनुष सतरंगा - 21

by Mohd Arshad Khan
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पंडित जी को दोपहर में सोने की आदत नहीं थी। गर्मियों की अलस दोपहरी में जब मुहल्ले की गलियों ...

इंद्रधनुष सतरंगा - 20

by Mohd Arshad Khan
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‘‘क्या हुआ पुंतुलु, भाई? इतना परेशान क्यों दिख रहे हैं?’’ आतिश जी ने खिड़की से झाँककर पूछा। ‘‘नहीं-नहीं, ऐसी कोई ...

इंद्रधनुष सतरंगा - 19

by Mohd Arshad Khan
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आतिश जी सोकर उठे तो बहुत हल्का महसूस कर रहे थे। शरीर में स्फूर्ति और ताज़गी भरी हुई थी। ...

इंद्रधनुष सतरंगा - 18

by Mohd Arshad Khan
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मोबले शाम तक अस्पताल में रहे। उन्हें देखने कोई नहीं आया, अलावा आतिश जी के। उन्हें आधे घंटे बाद ...

इंद्रधनुष सतरंगा - 17

by Mohd Arshad Khan
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मोबले का एक्सीडेंट हो गया। बुधवार के दिन चौक में बड़ी भीड़ रहती थी। उस दिन बुध-बाज़ार लगती थी। फुटपाथ ...

इंद्रधनुष सतरंगा - 16

by Mohd Arshad Khan
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‘‘घोष बाबू!’’ आतिश जी ने लगभग हाँफते हुए अंदर प्रवेश किया, ‘‘एक ज़रूरी काम से निकल रहा था, आपका ...