Meena Pathak ની વાર્તાઓ

पीताम्बरी - 5 - Last Part

by Meena Pathak
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आज सुबह से ही पीतो बेटे की प्रतीक्षा कर रही थी, अंशुमन का फोन आ गया था कि वह ...

पीताम्बरी - 4

by Meena Pathak
  • (4.7/5)
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अचानक हँसने की आवाज से उसकी आँख खुल गई, वह चौंक कर सुनने लगी पुकारा उसने रूपा ...

पीताम्बरी - 3

by Meena Pathak
  • (4.8/5)
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उधर डोली आशुतोष के दरवाजे पहुँचते ही आशुतोष की माँ और बहनें जल्दी से बहू उतारने आयीं, डोली में ...

पीताम्बरी - 2

by Meena Pathak
  • (4.7/5)
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जेठ की तपती दुपहरी की गर्म लू शरीर को झुलसा रही थी, सूरज अपने यौवन के चरम पर आग ...

पीताम्बरी - 1

by Meena Pathak
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घर में उत्सव जैसा माहौल था सभी के चेहरों पर उत्साह झलक रहा था बड़की ...

पश्चाताप - 2

by Meena Pathak
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शहर के पॉश एरिया में भव्य और सुंदर सा बंगला, नौकर-चाकर, हर सुख-सुविधा और क्या चाहिए था उसे ! ...

पश्चाताप - 1

by Meena Pathak
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अमिता फूट फूट कर रो रही थी अब उसे अपने किये पर पश्चाताप हो रहा था शायद ...

लोभिन - 3

by Meena Pathak
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गर्मियों के दिन थे दोनों जेठानियाँ बच्चों के साथ मायके गयीं थीं घर में बस ...

लोभिन - 2

by Meena Pathak
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उस दिन भी सुधा रो रही थी कि तभी गेट खटका उसने जा कर दरवाजा खोला तो ...

लोभिन - 1

by Meena Pathak
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वह सूनी आँखों से टुकुर-टुकुर पंखे को देख रही थी..आँखें धँस गयीं थीं..शरीर हड्डियों का पिंजर बन गया था..चमड़ी ...