घर में उत्सव जैसा माहौल था सभी के चेहरों पर उत्साह झलक रहा था बड़की ...
अमिता फूट फूट कर रो रही थी अब उसे अपने किये पर पश्चाताप हो रहा था शायद ...
वह सूनी आँखों से टुकुर-टुकुर पंखे को देख रही थी..आँखें धँस गयीं थीं..शरीर हड्डियों का पिंजर बन गया था..चमड़ी ...
पतीली से गिलास में चाय छान कर सबको थमा आई थी पर मुकेश कहीं नहीं दिख रहा था, वह ...
फुलमतिया अपने गाँव की इकलौती नाउन ठकुराइन है गाँव भर में किसी के घर भी जचकी होती ...