Lalit Kishor Aka Shitiz ની વાર્તાઓ

सर्विस पॉर्ट - 2

by ललित किशोर, ऊर्फ क्षितिज
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सर्विस पॉर्ट - 1

by ललित किशोर, ऊर्फ क्षितिज
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(Present day )एक सूने से हॉल में दो कमरे हैं । उनके सामने की तरफ दीवार पर घड़ी लगी ...

युवा किंतु मजबूर - पार्ट 4

by ललित किशोर, ऊर्फ क्षितिज
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दो महीने बीत चुके थे राकेश अब फिर से बेरोजगार हो चुका था। सब्जी के व्यापार में घाटा लगने ...

दिवाकर : दी फादर - भाग 1

by ललित किशोर, ऊर्फ क्षितिज
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सुबह सुबह रसोई से पराठों की खुशबू आ रही है और दीवाकर जी मंदिर में गायत्री मंत्र का पाठ ...

युवा किंतु मजबूर - पार्ट 3

by ललित किशोर, ऊर्फ क्षितिज
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राकेश ठेला सरकाते सरकाते मंदिर के पीछे वाले मैदान में आ गया। अभी सवेरे के साढ़े आठ ही बजे ...

युवा किंतु मजबूर - पार्ट 2

by ललित किशोर, ऊर्फ क्षितिज
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चुनाव का नतीजा आ चुका था, खाने के पैकेट और मोबाइल बांटने वाली पार्टी जो सत्ता में थी, उसे ...

युवा किंतु मजबूर - पार्ट 1

by ललित किशोर, ऊर्फ क्षितिज
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{ पार्ट -1} आषाढ़ का महिना था, हल्की ठंडी हवा गुनगुना रही थी और धीमे धीमे भोर की खुशबू ...

स्वयं अनुभूति एक मुख्य विषय - अलार्म

by ललित किशोर, ऊर्फ क्षितिज
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सुबह सुबह नहा धो कर मैं सेकेंड फ्लोर की बालकनी में आ कर बैठ गया... करीबन छ: सवा छ: ...