Divya Shukla ની વાર્તાઓ

हूक - 3 - अंतिम भाग

by Divya Shukla
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हूक (3) दिमाग जिस तरफ इशारा कर रहा था आत्मा उसे मानने से छिटक रही थी | मुझे मौन ...

हूक - 2

by Divya Shukla
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हूक (2) तभी माँ ने कहा “ नीरू जल्दी नहा ले अभी तुमसे मिलने कमला और मालती भी आती ...

हूक - 1

by Divya Shukla
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हूक (1) आज मेरी सुबह कुछ जल्दी हो गई कुछ देर बाहर लान में टहलती रही फिर चाय की ...

फैसला - 5 - अंतिम भाग

by Divya Shukla
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फैसला (5) मै भी तो बहुत परेशान थी | जिस जद्दोजहद से मै गुजर रही थी अब उसका हल ...

फैसला - 4

by Divya Shukla
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फैसला (4) मै निष्प्राण - सी हो गई, जैसे हाथ - पाँव से जान ही निकल गई बहुत डर ...

फैसला - 3

by Divya Shukla
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फैसला (3) ---रात के ग्यारह बज रहे थे अम्मा ने कहा ‘’दुल्हन कोकमरे में पहुंचा दो, जरा आराम कर ...

फैसला - 2

by Divya Shukla
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फैसला (2) -- माँ तुनक गई और बोली " आप भी न लड़कियों और बेल को बढ़ने में वक्त ...

फैसला - 1

by Divya Shukla
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फैसला (1) शाम की ट्रेन थी बेटे की अभी सत्ररह साल का ही तो है | राघव पहली बार ...

ठौर ठिकाना - 3 - अंतिम भाग

by Divya Shukla
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ठौर ठिकाना (3) सिर्फ रमा आंटी ही नहीं यहाँ रहने वाला कोई भी सदस्य कभी अपनों के बारे में ...

ठौर ठिकाना - 2

by Divya Shukla
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ठौर ठिकाना (2) घर पहुँचते पहुँचते देर हो गई. कमला ने खाने को पूछा भी मना कर दिया मैने. ...