Vrajesh Shashikant Dave ની વાર્તાઓ

द्वारावती - 70

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 240

70लौटकर दोनों समुद्र तट पर आ गए। समुद्र का बर्ताव कुछ भिन्न दृष्टिगोचर हो रहा था। बालक की भाँति ...

द्वारावती - 69

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 276

69 ...

द्वारावती - 67 - 68

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 417

67महादेव की संध्या आरती से जब गुल लौटी तब उत्सव तट पर खड़ा था। उसने गुल को निहारा। गुल ...

द्वारावती - 66

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 444

66सूर्योदय हुआ। गुल अपने नित्य कर्म पूर्ण कर, भड़केश्वर महादेव की आरती-पूजा-अर्चना कर लौट आइ। उस समय उत्सव वहाँ ...

द्वारावती - 65

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 600

65 “ओह, यह ...

द्वारावती - 64

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 501

64 प्रातः काल का ...

द्वारावती - 63

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 534

63द्वारका में काशी से पंडित जगन्नाथ पधारे थे। भगवान द्वारिकाधीश के दर्शन के उपरांत वह मंदिर में विहार करते ...

द्वारावती - 62

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 606

62चार वर्ष का समय व्यतीत हो गया। प्रत्येक दिवस गुल ने इन चार वर्षों की अवधि की समाप्ति की ...

द्वारावती - 61

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 537

61केशव के जाने की सज्जता में पूरा दिन व्यतीत हो गया। गुल इस प्रत्येक सज्जता में केशव के साथ ...

द्वारावती - 60

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 588

60गुल ने जब आँखें खोली तब वह गुरुकुल के किसी कक्ष की शैया पर थी। कुछ कुमार उसकी सेवा ...