Vrajesh Shashikant Dave ની વાર્તાઓ

द्वारावती - 73

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 276

73नदी के प्रवाह में बहता हुआ उत्सव किसी अज्ञात स्थल पर पहुँच गया। चारों दिशाओं में घना जंगल था। ...

द्वारावती - 72

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 327

72दोनों ने अदृश्य ध्वनि की आज्ञा का पालन किया। जिस बिंदु पर दोनों ने दृष्टि रखी वहाँ दृश्य दिखाई ...

द्वारावती - 71

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 399

71संध्या आरती सम्पन्न कर जब गुल लौटी तो उत्सव आ चुका था। गुल की प्रतीक्षा कर रहा था।“गुल, मुझे ...

द्वारावती - 70

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 507

70लौटकर दोनों समुद्र तट पर आ गए। समुद्र का बर्ताव कुछ भिन्न दृष्टिगोचर हो रहा था। बालक की भाँति ...

द्वारावती - 69

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 438

69 ...

द्वारावती - 67 - 68

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 540

67महादेव की संध्या आरती से जब गुल लौटी तब उत्सव तट पर खड़ा था। उसने गुल को निहारा। गुल ...

द्वारावती - 66

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 561

66सूर्योदय हुआ। गुल अपने नित्य कर्म पूर्ण कर, भड़केश्वर महादेव की आरती-पूजा-अर्चना कर लौट आइ। उस समय उत्सव वहाँ ...

द्वारावती - 65

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 669

65 “ओह, यह ...

द्वारावती - 64

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 585

64 प्रातः काल का ...

द्वारावती - 63

by Vrajesh Shashikant Dave
  • 630

63द्वारका में काशी से पंडित जगन्नाथ पधारे थे। भगवान द्वारिकाधीश के दर्शन के उपरांत वह मंदिर में विहार करते ...