CHIRANJIT TEWARY ની વાર્તાઓ

तेरे मेरे दरमियान - 34

by CHIRANJIT TEWARY

मोनिका :- क्यो , आज मैं चुप नही रहूंगी । ये सजावट किससे कराया जानती हो , विक्की से ...

श्रापित एक प्रेम कहानी - 14

by CHIRANJIT TEWARY
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आलोक जवाब देता है ---आलोक :- किया था यार....! तेरे पापा और कुछ गांव वालो ने मिलकर सबके घर ...

तेरे मेरे दरमियान - 33

by CHIRANJIT TEWARY
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जानवी :- नही पापा प्लिज ऐसा मत बोलो । आप जहां कहोगे मैं वही शादी करुगी पापा ।विकास जानवी ...

श्रापित एक प्रेम कहानी - 13

by CHIRANJIT TEWARY
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आलोक :- पुराणों मे तो मैने भी पड़ा है के दैत्य , राक्षस और दानव और सभी अपनी लोक ...

तेरे मेरे दरमियान - 32

by CHIRANJIT TEWARY
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अशोक जानवी की बात को सुनकर हैरान और परेशान भी हो जाता है के उसके कारण कही आदित्य की ...

श्रापित एक प्रेम कहानी - 12

by CHIRANJIT TEWARY
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चतुर कहता है -----चतुर :- तुम दोनो पागल हो । अब यहां रुक के क्या फ़ायदा । जल्दी निकलो ...

तेरे मेरे दरमियान - 31

by CHIRANJIT TEWARY
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मोनिका विकी के ऐसा कहने पर हैरान थी उसे अब आदित्य के बातो पर भरोसा होने लगा था । ...

श्रापित एक प्रेम कहानी - 11

by CHIRANJIT TEWARY
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चटान सिंह कहता है ----चट्टान सिंह :- वो इंद्रजीत का बेटा एकांश आया है ना । लंदन से डॉक्टर ...

तेरे मेरे दरमियान - 30

by CHIRANJIT TEWARY
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रेखा हल्दी लगाते हूए कहती है -----रेखा :- हमेशा खुश रहो । जानवी बहोत प्यारी बच्ची है , तुम ...

श्रापित एक प्रेम कहानी - 10

by CHIRANJIT TEWARY
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चतुर गुस्से से कहता है ।चतुर :- क्या बोला बे छक्क....... साले रुक तु ।इतना बोलकर चतुर गुना को ...