Bhupendra Singh chauhan ની વાર્તાઓ

सुख के साथी

by Bhupendra Singh chauhan
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बोधू के पिता दीनू ने अपने 1 बीघे खेत मे अमरूद का बगीचा लगाया था।दीनू ने इन्हें बच्चों की ...

टिकैत बाबा और मनचाहे गीत

by Bhupendra Singh chauhan
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तब रामू की उम्र 13-14 वर्ष रही होगी जब वह अपनी भैंस चराने दूर खेतों में ले जाता था।हर ...

वह बेबस आंखें...

by Bhupendra Singh chauhan
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उस दिन तुम्हारा मिलना मेरे लिए कुछ ऐसा था जैसे मैंने वर्षों की खोई चीज पा ली हो।वह दिन ...

मुझे आजाद कर दो

by Bhupendra Singh chauhan
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वेंटिलेटर पर पड़ी वह बार-बार एक ही बात बोले जा रही है"मैं मर जाना चाहती हूं,प्लीज मुझे मर जाने ...

जानेमन

by Bhupendra Singh chauhan
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उर्मि के कदमों में आज तेजी थी।हर दिन से आज 10 मिनट देर से थी वह।सुबह वह भूल ही ...

अबकी बार... लल्लन प्रधान - 5 - (अंतिम भाग)

by Bhupendra Singh chauhan
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नाहर अपनी जीत में सबसे बड़ा रोड़ा लल्लन को मानते थे।चुनावी पंडितों द्वारा भी यह उम्मीद जताई जा रही ...

अबकी बार... लल्लन प्रधान - 4

by Bhupendra Singh chauhan
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अबकी बार...लल्लन प्रधानपार्ट-4 ...

अबकी बार... लल्लन प्रधान - 3

by Bhupendra Singh chauhan
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लल्लन ने गौरीबदन संग उठना-बैठना तेज कर दिया था ठीक इसी तरह पंकज की नाहर सिंह के साथ नजदीकियाँ ...

अबकी बार... लल्लन प्रधान - 2

by Bhupendra Singh chauhan
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#पार्ट_2 ...

अबकी बार... लल्लन प्रधान

by Bhupendra Singh chauhan
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जगतपुरा....ऐसा गांव जो अब भी गांव है ।शहरों की चकाचौंध और आधुनिकता से दूर एकांत में बसे इस गांव ...