सुरक्षा प्लेटफार्म नंबर एक के यात्रियों के लिये बनी बेंच पर वह बैठी है | उम्र कोई पच्चीस से ...
धूप का गुलाब ‘शकुन बेटा ! दो कप चाय बना लाओ’ ड्राइंगरूम तथा लाबी को पार करती हुई सहाय ...
तलाश दिन काफी चढ़ गया था | शायद सुबह के आठ बज गए थे ! माँ कब से उसे ...
चबूतरे का सच लगता है बैंड सिर पर बज ही जायेगा। तमाम कोशिश बेअसर हो गई। छोटी से कुछ ...
खुद्दार हरे-पीले, पके-अधपके आमों से लदे पेड़ों का बगीचा । बीच से निकली है सड़क । बगीचे को पार ...
खारा पानी लड़का आज ही इस घर में आया है, नौकरी करने। मगरी, जिसके साथ वह आया है, लडके ...
अपनों के बीच गर्मी में झुलसता मई का महीना। जीवन-मरण के बीच झूलती अम्मा । सबको खबर कर दी ...
सनेही के हाथ से मशीन का हत्था (हैन्डिल) आज फिसल-फिसल जा रहा है । ऐसा तो पहले दिन भी ...
ये कहानी तब की है, जब उसे जंगल में जाकर प्रत्यक्ष शेर, चीता, भालू देखने का शौक उपजा था ...
ट्रेन छूटने में पन्द्रह मिनट का समय अब भी बाकी है। मैं खिड़की की ओर पीठ टिकाकर बैठी हूँ। ‘‘आ ...