Arpan Kumar ની વાર્તાઓ

घोंघे

by Arpan Kumar
  • 15.3k

साहित्य में नए-नए कदम रखे अरुण कौशल ने छपने-छपाने की दुनिया में प्रवेश कर लिया था। अपने से वरिष्ठ ...

एक कारीगर की ख़ामोशी

by Arpan Kumar
  • 8k

“भला इतने महँगे वार्डरोब बनवाने की क्या ज़रूरत है हरिराम?” अपने खर्चे से कुछ उकताया हुआ मैंने उससे साफ-साफ ...

भले आदमी!

by Arpan Kumar
  • 6.7k

“अरे मत पूछो यार, वह बहुत घटिया आदमी था...” एक भला आदमी दूसरे भले आदमी से रात्रि के यही ...

फेसबुक और तीन प्रेमी युगल - 3 - अंतिम पार्ट

by Arpan Kumar
  • 4.8k

कोई नौ वर्षों बाद .... मनीष और मेघना की दोस्ती टूट चुकी थी। मेघना ने कई बार मनीष से शादी ...

फेसबुक और तीन प्रेमी युगल - 2

by Arpan Kumar
  • 5.6k

डॉ. इला त्रिपाठी ने आगे अपनी मनोवैज्ञानिक व्याख्या जारी रखी, “मित्रो, कई बार समाज के कुछ ग़लत तत्व फेसबुक ...

फेसबुक और तीन प्रेमी युगल - 1

by Arpan Kumar
  • 13.2k

“इधर फेसबुक पर बने रहना एक फैशन हो गया है। मैं भी उस फैशन का शिकार हूँ। बच्चों और ...

वर्दी वाली बीवी - 3

by Arpan Kumar
  • (4.2/5)
  • 5.8k

तीन बजकर पचास मिनट पर ‘सिरपूर कागज नगर’ आया। अब आंध्रप्रदेश आ चुका है। स्टेशनों के नाम तेलगू में ...

वर्दी वाली बीवी - 2

by Arpan Kumar
  • 7.2k

‘सेवाग्राम’ नाम सुनते ही मैं लिखना छोड़ बाहर देखने लगा। इस जगह से देश का इतिहास और मेरे बचपन ...

वर्दी वाली बीवी - 1

by Arpan Kumar
  • (4.1/5)
  • 7.7k

तेलंगाना एक्सप्रेस लेट हो गई है। पौने दस बजे की जगह अब पौने बारह में चलेगी। मैं वेटिंग रूम ...

तब राहुल सांकृत्यायन को नहीं पढ़ा था - 4

by Arpan Kumar
  • 4.6k

उसके पिता उस समय गाँव में नहीं थे। अपने बैंक की ओर से ऑडिट करने वे बक्सर तरफ़ के ...