ADARSH PRATAP SINGH ની વાર્તાઓ

हवशी पेड़ - 3

by adarsh pratap singh
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तभी दरोगा साहब को पता चलता है कि सरपंच जी की एक बैठक में उन्हें बुलाया गया है ...

दलित एक सोच - 2

by adarsh pratap singh
  • 6.4k

जिससे राजा जी संदेह मे पड गए कि एक दलित के बेटे को कैसे मैं सम्मान दे सकता हु ...

हवशी पेड़ - 2

by adarsh pratap singh
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थाने में नए अफसर का आगमन हो चुका था अफसर पहले से ही वाकिब था छेत्र में हो रहे ...

हवशी पेड़ - 1

by adarsh pratap singh
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पेड़ और पंछियों की दोस्ती बहुत गहरी होती है लेकिन कभी कभी दोस्ती से बढ़कर भी कुछ हो जाता ...

कलियुग का मित्र - INTERNET - 1

by adarsh pratap singh
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आइये हम जानते है कि इस कलियुग में बन रहे नए मित्र जैसे “INTERNET” दौर कलियुग का है जहाँ ...

बचपन का डर

by adarsh pratap singh
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“अंधेरा ,डर दोनो का मेल अंधा स है प्रकाश के आते ही दोनों गायब से हो जाते है” {मेरी ...

दलित एक सोच - 1

by adarsh pratap singh
  • 8.2k

इस पुस्तक में उपयोग सभी किरदार सिर्फ शब्दो को बया करने के लिए उपयोग किये गए है उपयोगी किरदार ...

एक रात भानगढ़ के किले मे

by adarsh pratap singh
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मैं और मेरा दोस्त अमित बचपन से ही रात में बिना कहानियों को सुने हुए सोते नही थे। पिता ...