Raj Gopal S Verma ની વાર્તાઓ

पेईंग गेस्ट (कमलेश्वर स्मृति कथा सम्मान-२०१९ से सम्मानित)

by Raj Gopal S Verma
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“आप हॉस्टल में क्यों ट्राई नहीं करती, पेइंग गेस्ट के बजाय!”. नई दिल्ली की पॉश कॉलोनी सफदरजंग एन्क्लेव के ...

अकबर महान की भटकती आत्मा

by Raj Gopal S Verma
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किस्सा सन १८५७ की क्रांति के दिनों के आसपास की है. आगरा किले पर ईस्ट इंडिया कंपनी का कब्जा ...

जिसे बयाँ न किया जा सके

by Raj Gopal S Verma
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“जंगली फूल कब पनप जाते हैं यूँ ही, न जाने कैसे, बिना किसी देखभाल के, कौन जाने. न उन्हें ...

एक अजनबी शाम का अफसाना

by Raj Gopal S Verma
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अजनबी…तुम जाने पहचाने से… लगते हो… ये बड़ी अजीब सी बात है...! समिधा गुनगुना रही थी. मन मे क्या ...

मकसद

by Raj Gopal S Verma
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“क्या बताऊं, कैसे समझाऊं तुमको. कुछ सुनती ही नहीं तो समझोगी कैसे अनन्या”, भुनभुनाता हुआ प्रसनजीत अपना मोबाइल उसके ...

उम्मीदों का बना रहना

by Raj Gopal S Verma
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शहर की एक पोश कॉलोनी बाग़ फरजाना में स्थित डॉक्टर के विशाल घर का छोटा सा हिस्सा था यह ...

ओ नैन्सी... ओ!

by Raj Gopal S Verma
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क्षितिज के उस पार, उगते सूरज की स्वर्णिम किरणों को देखने का रोमांच बहुत ही ख़ास होता है. अस्त ...