Koun hai wo book and story is written by Surekha Nayak in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Koun hai wo is also popular in डरावनी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कौन है वो? - उपन्यास
Surekha Nayak
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
हैलो दोस्तो ! मेरी पहली कहानी में आपका स्वागत है। यह कहानी है एक लडकी की जो गांव में अपने माता-पिता के साथ रहती है। खुशी। एक प्यारी सी, शर्मीली सी लड़की है। खुशी अपने काम से काम रखती है।ना किसी से ज्यादा बात करती है ना ही किसी के साथ ज्यादा समय बिताती है। उसे पढ़ने का बहुत शौख है। पर अफसोस की वह माता-पिता के मना करने पर आगे बढ़ नहीं सकीं। उसे दस पास करके स्कूल छोड़ना पड़ा। अब बो घर पर ही रहती है। उसे बहुत बुरा लगा कि वह अब आगे बढ़ नहीं पायेगी।
हैलो दोस्तो ! मेरी पहली कहानी में आपका स्वागत है। यह कहानी है एक लडकी की जो गांव में अपने माता-पिता के साथ रहती है। खुशी। एक प्यारी सी, शर्मीली सी लड़की है। खुशी अपने ...और पढ़ेसे काम रखती है।ना किसी से ज्यादा बात करती है ना ही किसी के साथ ज्यादा समय बिताती है। उसे पढ़ने का बहुत शौख है। पर अफसोस की वह माता-पिता के मना करने पर आगे बढ़ नहीं सकीं। उसे दस पास करके स्कूल छोड़ना पड़ा। अब बो घर पर ही रहती है। उसे बहुत बुरा लगा कि वह अब आगे बढ़ नहीं पायेगी।
हैलो दोस्तों ! कैसे हो आप? खुशी की कहानी में हम अब आगे देेेेखते है। खुशी को अब अपने घर जाना था। उसने अपने चाचा से बात की। खुशी: चाचा जी अब मुझे घर जाना है। ...और पढ़े चाचा: ठीक है, लेकिन आज का दिन रूक जाओ कल चली जाना। उसी रात खुशी सो रहीं थी कि अचानक उसके फोन कि घंटी बजी। खुशी ने फोन में देखा तो रात के बारह बजे थे। खुशी ने फोन उठाया। खुशी: हैलो! कोन ? फोन में से आवाज आई: खुशी तुम घर नहीं जा सकती। मैं तुम्हें घर नहीं जाने
हैलो दोस्तो ! कैसे हो आप सब ? मैं उम्मीद करती हूं कि आप सब ठीक होंगे. खुशी कि कहानी के तीसरे भाग में खुशी के साथ क्या होता है देखते हैं। खुशी को कुछ समझ में नहीं आ ...और पढ़ेथा कि अब मैं क्या करूं ? आखिर में खुशी अपने मम्मी पापा की तरफ भाग के चली गई। और उस फोन मे से आवाज आती बंद हो गई। और वो अपने मम्मी पापा के पास जा कर रोने लगी। खुशी को कुछ समज नहीं आ रहा था । खुशी और उसके मम्मी पाप फोन को वहीं छोड़ कर अपने घर चले गए।
मा-पापा भी ना कुछ भी बोलते हैं की फोन में भुत है। कुछ भी तो नहीं है। और खुशी हस पड़ी।..... अब आगे... खुशी फोन लेके कुए कि ओर जा रही है। खुशी के पापा ...और पढ़े खुशी के पीछे पीछे जा रहे हैं। वो कुएं के पास पहोंची उसे डर लग रहा था। पर उसने अपनी आंखें बंद कर के भगवान का नाम लेते हुए फोन को कुएं में डाल दिया। और खुशी भाग के पापा के पास आ गई। खुशी के पापा: खुशी डरो मत बेटा अब शायद सब कुछ ठीक हो जाएगा। खुशी :
खुशी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और मैं तुम्हारे लिए ही वापस आया हूं। मैं तुम्हें अपने साथ ले जाने आया हूं। चलोगी न मेरे साथ खुशी?............. अब आगे...... खुशी: मैं तुम्हारे प्यार ...और पढ़ेकद्र करतीं हुं। लेकिन मैं तुम्हारे साथ नहीं चल सकती। मुझे माफ़ कर दो।सुनील: क्या कहा? तुम मेरे साथ नहीं चलोगी? मैं तुम्हें लिए बीना नहीं जाउंगा। तुम्हें मेरे साथ चलना होगा। सुनील बहुत गेस्से हो गया। और उसकी बात से खुशी को पता चल गया था कि वो ऐसे नहीं मानेंगा। खुशी ने कुछ सोचा फिर बोली : ठीक